स्वास्थ्य और बीमारियां

Kids Care In Summer : बच्चों में बढ़ने लगी कमजोरी, गर्मियों में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी

गर्मी का मौसम जब भी आता है तो ज्यादातर लोगों को सुस्ती, थकान व कमजोरी जैसा महसूस होने लगता है। ज्यादातर लोगों में यह समस्या बदलते मौसम के कारण होती है। केवल बड़ों में ही नहीं, बल्कि इस तरह की समस्याएं बच्चों में भी देखी जाती हैं, जो सामान्य होती हैं। लेकिन बच्चों का शरीर नाजुक होता है और उनके शरीर या फिर मौसम में होने वाला थोड़ा बहुत बदलाव भी उन्हें बीमार बना देता है।

खासतौर पर बदलते मौसम में बच्चों की सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है और नियमित रूप से यह जांच करते रहना चाहिए कि कहीं बच्चे को कमजोरी या थकान जैसा कोई लक्षण तो महसूस नहीं हो रहा है। इस खबर में हम आपको बतायेंगे कि गर्मियां आते ही बच्चों में होने वाली कमजोरी के शुरुआती लक्षणों की पहचान कैसे करें और इस समस्या को दूर कैसे करें।

कमजोरी के लक्षण

जब भी मौसम बदलता है तो ऐसे में बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। खासतौर पर जब सर्दी के बाद गर्मी आती है तो कुछ बच्चों के शरीर में कमजोरी होने लगती है और इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों में गर्मियों के दिनों में होने वाली कमजोरी के प्रमुख लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं जैसे दिनभर नींद आना, रात को नींद न आना, चिड़चिड़ापन और बदन दर्द आदि। अगर आपका बच्चा इनमें से किसी भी लक्षण की शिकायत करता है, तो यह कमजोरी का ही लक्षण है।

कैसे दूर होगी कमजोरी?

गर्मियों के मौसम में होने वाली कमजोरी आमतौर पर किसी न किसी अंदरूनी कारण से होती है और यह कमजोरी दूर करने के लिए सबसे पहले बच्चे की डाइट में सुधार लाएं। उसके खाने में ज्यादा से ज्यादा फल व सब्जियां दें। साथ ही ज्यादा प्रोटीन व विटामिन वाले अन्य फूड्स भी उन्हें खाने के लिए दें। कमजोरी व थकान दूर करने के लिए उनकी लाइफस्टाइल में सुधार करना भी जरूरी है और इसलिए उन्हें रात को जल्दी सुलाएं, सुबह जल्दी उठाएं और दिन में कोई न कोई फिजिकल एक्टिविटी या खेलकूद कराएं।

डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी

दिन में कमजोरी होना आमतौर पर कई समस्याओं का कारण हो सकता है इसलिए ज्यादा समय तक ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासतौर पर बच्चों में ऐसे लक्षण ज्यादा देखे जाते हैं, लेकिन वे बता नहीं पाते हैं और कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों के शरीर में होने वाले ऐसे किसी भी लक्षण की जांच करते रहना चाहिए, ताकि स्थिति खराब होने पाये।

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