डाइट और फिटनेस

Sugar से हो हाय तौबा, उससे पहले ही चीनी छोड़ने के जान लें ये नियम

हाल की एक रिसर्च से सामने आया है कि ज्यादा चीनी खाने से मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. भारत में ये बीमारियां बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीनी दुनिया का सबसे ज्यादा नशा करने वाला पदार्थ है, खासकर मीठी चीजें. ज्यादा चीनी पीना या खाना सेहत के लिए ठीक नहीं है ये तो हम सब जानते हैं, पर इसे कम करना मुश्किल होता है.

एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि चीनी अचानक से पूरी तरह बंद करने के बजाय धीरे-धीरे कम करना ज्यादा फायदेमंद होता है. आप अपनी चाय, कॉफी या दूध में डालने वाली चीनी को धीरे-धीरे कम करें. कुछ समय बाद आपको सिर्फ चीनी का स्वाद ही आएगा, चाय या कॉफी का स्वाद नहीं. चीनी कम करने के लिए सबसे जरूरी चीज है इच्छा शक्ति. मीठा खाने की आदत लग चुकी हो तो चीनी की तलब लगेगी ही. इसलिए शुरुआती 3-4 हफ्ते काफी मुश्किल भरे होंगे और यही इच्छाशक्ति की असली परीक्षा है. अपने आप से कहें – “इस महीने मैं या तो चीनी बिल्कुल नहीं खाऊंगा या फिर कम मात्रा में ही लूंगा.

21 दिन का नियम

  • चीनी कम करने के लिए एक्सपर्ट 21 दिन के नियम की सलाह देते हैं. यह नियम इस सिद्धांत पर आधारित है कि कोई भी आदत बनाने या छोड़ने में तीन सप्ताह लगते हैं. ऐसा कहा जाता है कि आप किसी भी आदत को अच्छी हो या बुरी, 21 दिनों तक करते हैं तो वो आदत बन जाती है.”
  • उनके मुताबिक सबसे पहला कदम ये देखना है कि क्या लोग पूरी तरह चीनी छोड़ सकते हैं.
  • इसके लिए सबसे पहले ये पता लगाएं कि आप रोजाना कितनी चीनी खाते हैं. आप खाने का डायरी बनाकर लिख सकते हैं कि आपने दिनभर में क्या खाया और पिया जिसमें चीनी थी.
  • डॉक्टरों का ये भी कहना है कि पैकेटबंद खाने, सॉस और कोल्ड ड्रिंक्स में भी छिपी हुई चीनी होती है, उनका सेवन भी कम करें.

चीनी की जगह मीठा खाने के ये विकल्प अपनायें

कुछ लोगों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है. कुछ प्राकृतिक मीठा खाने के विकल्पों के बारे में बताते हैं. स्टीविया या सुक्रालोज जैसे कई स्वीटनर होते हैं जिनमें कैलोरी नहीं होती लेकिन वे मीठे होते हैं. डॉक्टर कहते हैं कि इनसे वजन नहीं बढ़ता और ना ही ये फैट को बढ़ाते हैं. बहुत से लोग चीनी की जगह इन स्वीटनर का इस्तेमाल करके खुश हैं. गुड़ या कम रिफाइंड चीनी जैसे कच्ची ब्राउन शुगर भी विकल्प हो सकते हैं, हालांकि ये मीठी तो होती हैं लेकिन स्वीटनर जितना मीठा नहीं करतीं.”

  • गुड़ और शहद को भले ही चीनी का हेल्दी विकल्प माना जाता है, लेकिन इनमें भी 70-80 प्रतिशत चीनी होती है. इन्हें बहुत ज्यादा नहीं खाना चाहिए.
  • स्टीविया, मोंक फ्रूट का अर्क या एल्युलोज़ जैसे स्वीटनर इस्तेमाल करने से भी फायदा हो सकता है. खजूर या किशमिश जैसे सूखे मेवे भी शुगर से भरपूर होते हैं. इसलिए सबसे अच्छा ताजे और मौसमी फल खाना होता है.
  • अगला कदम है मीठे पेय पदार्थों को हेल्दी विकल्पों से बदलना, जैसे सादा पानी या फलों के टुकड़ों वाला पानी. डॉक्टर घर पर मिठाईयां, केक और डेज़र्ट रखने से भी मना करते हैं.
  • अगर किसी ने आपको ये चीजें गिफ्ट की हैं तो आप एक पीस खा सकते हैं और बाकी को दूसरों में बांट दें ताकि उन्हें फ्रिज में रखने की जरूरत ना पड़े. अगर मीठी चीजें घर में होंगी तो लोग दो-तीन दिन में ही सब खत्म कर देंगे.

चीनी खाने की तलब को कैसे कम करें?

  • मैग्नीशियम से भरपूर चीजें खाने से चीनी खाने की तलब कम हो सकती है. ये चीजें बादाम, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज या एवोकाडो हो सकती हैं.
  • मीठा खाने की तलब को कम करने के लिए नमक, नींबू पानी या नारियल का पानी भी पिया जा सकता है. रोजाना के खाने में घी का इस्तेमाल करने से भी कुछ लोगों की मीठा खाने की तलब कम हो जाती है.
  • पैकेटबंद खाने से दूर रहने की सलाह देते हैं. साथ ही, तनाव में खाने की आदत भी शुगर का सेवन बढ़ा देती है. कुछ फैटी चीजें, जैसे मेवे, चीनी खाने से रोकने में मदद कर सकती हैं.

चीनी से पूरी तरह तौबा नहीं तो ये उपाय करें

  • अगर आप पूरी तरह चीनी छोड़ ही नहीं सकते तो कुछ राहत की बात देते हैं. अगर कोई चीनी पूरी तरह बंद नहीं कर पा रहा है तो उसे कम करना ही एकमात्र उपाय है.”
  • वह आगे कहते हैं कि “दो या तीन चम्मच चीनी डालने के बजाय एक चम्मच डालें और फिर बाद में आधा चम्मच ही डालें.”
  • थोड़ी सी चीनी भी आपकी चाय या कॉफी को मजेदार बनाने के लिए काफी होती है. उन्होंने ये भी कहा कि इतनी कम मात्रा में चीनी लेने से, खासकर अगर आप बहुत बार नहीं लेते हैं, तो आपके शरीर में ग्लूकोज या मेटाबॉलिक लेवल पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

हालांकि, डॉक्टर ये भी बताते हैं कि जब आप स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं, जैसे चीनी रहित विकल्प या मिठाईयों में चीनी की जगह स्वीटनर, तो आपको ज्यादा मात्रा में इनका सेवन करना पड़ता है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बड़ी मात्रा में स्वीटनर के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं.

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