आंखें ईश्वर का वरदान हैं, यही शरीर का वो हिस्सा हैं जो हमें दुनिया की खूबसूरती का एहसास कराती हैं। हालांकि समय के साथ लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण इससे संबंधित जोखिम बढ़ते जा रहे हैं।
मोबाइल-कंप्यूटर्स पर अधिक समय बिताना हो या फिर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां, इन सभी के कारण आंखों की सेहत पर नकारात्मक असर देखा जा रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अंधापन और कम दृष्टि के प्रमुख कारणों में मुख्य रूप से मोतियाबिंद, मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा जैसी बीमारियां हैं।
आंखों से संबंधित बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित करने और बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल अक्तूबर माह के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड साइट डे मनाया जाता है। इस बार का थीम है- अपनी आंखों से प्यार करें’ है, कार्यस्थल पर आंखों के स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
जाने आंखों को स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
अच्छा आहार आंखों के लिए जरूरी
आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आपका आहार स्वस्थ और पौष्टिक हो। थाली में कई रंगों वाली सब्जियों-फलों को दैनिक आहार का हिस्सा बनाएं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड, ल्यूटिन, जिंक और विटामिन-सी और ई जैसे पोषक तत्व मैक्यूलर डिजनरेशन और मोतियाबिंद जैसी उम्र से संबंधित दृष्टि समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल और कोलार्ड, फैटी फिश, अंडे, नट्स, बीन्स आदि आंखों की सेहत के लिए लाभकारी हैं।
धूम्रपान से बिल्कुल दूरी
धूम्रपान सिर्फ फेफड़ों के लिए ही हानिकारक नहीं है, इससे आंखों की सेहत पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। अध्ययनों में धूम्रपान को मोतियाबिंद, ऑप्टिक तंत्रिका को क्षति पहुंचाने और मैक्यूलर डीजेनरेशन के खतरे को बढ़ाने वाला पाया गया है।
धूम्रपान छोड़कर इस तरह के खतरे को कम किया जा सकता है। डॉक्टर कहते हैं, धूम्रपान छोड़ना आपके नियंत्रण में है जो आपकी दृष्टि को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने में मददगार हो सकता है।
स्क्रीन टाइम को करें कम
स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताने वाले लोगों में समय के साथ आंखों से संबंधित कई तरह की बीमारियों के विकसित होने का खतरा रहता है। मोबाइल-कंप्यूटर या टेलीविजन जैसे स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है।
अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन इस तरह के जोखिमों को कम करने के लिए 20/20/20 नियम की सिफारिश करता है। इसमें हर 20 मिनट में कम से कम 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड के लिए ध्यान से देखने की सलाह दी जाती है। पलकों को झपकाते रहना भी बहुत जरूरी है।