लोगों की सेहत और पूरे स्वास्थ्य को सुनश्चित करने में वैक्सीन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, खासतौर से बुजुर्गों के लिए। जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है, इस वजह से कई तरह के रोग उन पर हमला करते हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन जरूरी हो जाता है। ये उम्रदराज लोगों को तरह-तरह के रोगों और उनसे जुड़ी जटिलताओं से बचाता है। अप्रैल के आखिरी सप्ताह को टीकाकरण के लिए समर्पित किया गया है।
वैश्विक रूप से टीकाकरण सप्ताह मनाए जाने की शुरुआत वर्ष 1974 में हुई थी। इसका उद्देश्य विश्व आबादी तक उन वैक्सीन को पहुंचाना था, जाे उन्हें गंभीर रोगों से बचा सकती हैं। शुरुआत में इसमें शिशुओं के लिए 6 जीवन रक्षक टीके शामिल किए गए थे। लेकिन समय बीतने साथ बीमारियों का जोखिम और वैक्सीन की उपलब्धता दोनों में ही बढ़ाेतरी हुई है। ऐसे में हम वयस्कों और खासतौर से बुजुर्गों को भी इस दायरे में शामिल कर सकते हैं।
कोविड-19 की भयावहता ने वैक्सीन के महत्व को नए सिरे से समझा दिया है। इसलिए इस वर्ष विश्व टीकाकरण सप्ताह की थीम ह्यूमनी पॉसिबल सुनिश्चित की गई है। अर्थात जहां तक भी संभव हो, सभी तक वैक्सीन की पहुंच हो।
ये वैक्सीन बुजुर्गों के लिए जरूरी
इंफ्लुएंज़ा वैक्सीन
बुजुर्गों के लिए सबसे महत्वपूर्ण वैक्सीन में इंफ्लुएंज़ा वैक्सीन शामिल है। इंफ्लुएंज़ा, जिसे आमतौर पर फ्लू कहा जाता है, ये बुजुर्गों में कई तरह की जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जैसे निमोनिया, अस्पताल में भर्ती होना या कई बार इसकी वजह से मौत भी हो सकती है।
इंफ्लुएंज़ा वैक्सीन इस प्रकार के जोखिम से बचाती है। साथ ही इंफेक्शन होने पर लक्षणों की गंभीरता को भी कम करती है। वैक्सीनेशन से केवल बुजुर्गों का ही बचाव नहीं होता, बल्कि यह कम्यूनिटी के स्तर पर भी इम्यूनिटी बनाने तथा कमजोर लोगों को वायरस से हमलों से बचाती है।
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निमोकोकल वैक्सीन
निमोकोकल वैक्सीन भी वृद्ध आबादी के लिए महत्वपूर्ण इम्युनाइज़ेशन है। निमोकोकल रोगों की वजह से निमोनिया, मेंनिन्जाइटिकस और खून के इंफेक्शन होते हैं। ये बुजुर्ग आबादी के लिए हेल्थ रिस्क बढ़ा सकते हैं। निमोकोकल बैक्टीरिया के खिलाफ वैक्सीनेशन करवाने पर इन जीवनघाती इंफेक्शंस से बचाव होता है। साथ ही इनकी वजह से पैदा होने वाली जटिलताओं से भी बचा जा सकता है, जो बुजुर्गाों की लाइफ क्वालिटी को बेहतर बनाते हैं।
शिंगल्स वैक्सीन
हर्पीज़ ज़ोस्टर वैक्सीन, जिसे आमतौर से शिंगल्स वैक्सीन कहा जाता है। इसे 50 साल या अधिक उम्र के व्यक्तियों को लेने की सिफारिश की जाती है। शिंगल्स का कारण वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस की रीएक्टिविटी है। यह वही वायरस है जिससे चिकनपॉक्स भी होता है।
उम्र बढ़ने के साथ शिंगल्स का खतरा बढ़ जाता है, और यह कंडीशन काफी तकलीफदेह तथा कमजोर करने वाली हो सकती है। वैक्सीनेशन से शिंगल्स का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है और यह बुजुर्गों में इसके लक्षणें को भी काफी हद तक कम कर सकता है।
कोविड रोधी वैक्सीन
हाल के वर्षेां में कोविड-19 महामारी ने वयस्कों और बुजुर्गों में वैक्सीनेशन के महत्व को काफी स्पष्ट तरीके से रेखांकित किया है। बुजुर्गों को कई तरह के गंभीर रोगों का खतरा रहता है और कोविड-19 की वजह से मृत्यु का रिस्क भी उनको ज्यादा होता है। ऐसे में वायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन काफी जरूरी हस्तक्षेप होता है।
mRNA जैसी वैक्सीन और वायरस वेक्टर वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अधिकृत किया गया है ताकि कोविड-19 के प्रसार पर रोक लगायी जा सके और बुजुर्गों समेत इम्यूनिटी के लिहाज से कमजोर आबादी समूहों पर इस रोग के असर को भी कम किया जा सके।
चुनौतीपूर्ण है बुजुर्गों का वैक्सीनेशन
वैक्सीनेशन के इतने फायदों के बावजूद बुजुर्गों के लिए पर्याप्त वैक्सीनेशन कवरेज को सुनिश्चित करने की राह में कई तरह की चुनौतियां बनी हुई हैं। इनमें एक्सेस तक अवरोध, वैक्सीन को लेकर शंकाएं और उम्र संबंधी इम्यून सिस्टम बदलाव प्रमुख हैं। जो वैक्सीन की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैक्सीनेशन सेवाओं तक बेहतर पहुंच सुनिश्चत करना जरूरी है ताकि बुजुर्गों को वैक्सीन के लाभ पहुंच सकें।