विश्व भर के लोगों में लिवर के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है। लिवर रोगों की गंभीरता, सही समय पर जांच कराने और रोकथाम के बारे में लोगों को शिक्षित करने की दृष्टि से वर्ल्ड लिवर डे खास महत्व रखता है। इस लेख में स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जानते हैं कि लिवर से जुड़ी हुई कौन-कौन सी समस्याएं हैं, इनके लक्षण क्या हैं और लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए किस तरह की सावधानियां बरतना जरूरी है।
डॉ. शिवानी देसवाल, सीनियर कंसल्टेंट एंड क्लीनिकल लीड, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के अनुसार, वैश्विक स्तर पर मुख्य रूप से लिवर कैंसर और सिरोसिस गंभीर रूप से लोगों को प्रभावित करता है। सिरोसिस लिवर का एक गंभीर घाव है जो नरम स्वस्थ ऊतक को कठोर ऊतकों में बदल देता है। ये रोग इंफेक्शन, हृदय रोग या लगातार आघात से लंबे समय तक सूजन के कारण हो सकता है। ये लिवर कैंसर के लिए भी प्रमुख जोखिम कारक हैं। लिवर कैंसर में लिवर के अंदर असामान्य और अस्वस्थ कोशिकाओं की वृद्धि हो जाती है। हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा लिवर में होने वाले कैंसर का सबसे आम प्रकार है।
इसके अलावा लिवर में फैट जमा हो जाने के कारण फैटी लीवर की समस्या बढ़ जाती है। ये शराब से संबंधित फैटी लीवर (एएलडी) या नॉनअल्कोहलिक फैटी लीवर रोग हो सकता है। अक्सर लिवर में वायरल संक्रमण भी हो जाता है जिससे लिवर में लालपन और सूजन आ जाती है। ये हेपेटाइटिस वायरस, हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के कारण हो सकता है, जिनमें से हेपेटाइटिस ए और बी को तो टीकों से रोका जा सकता है लेकिन हेपेटाइटस सी सिरोसिस और हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है। अगर इन बीमारियों का सही समय पर उपचार न किया जाए तो बाद में ये लिवर फेलियर का कारण भी बन सकती हैं।
इन लक्षणों पर जरूर ध्यान दें
डॉ महेश गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट – मेडिकल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली के अनुसार, लिवर रोगों के सामान्य लक्षणों की बात की जाए तो शुरुआती स्तर में आपको पीलिया हो सकता है, जिसमें आंखें और त्वचा पीली दिखाई देने लगती हैं। त्वचा में खुजली होना, पेट में सूजन और दर्द महसूस होना, साथ ही टखनों और पैरों में सूजन आ जाना, यूरिन करते समय यूरिन का रंग गहरा प्रतीत होना, लंबे समय तक थकान महसूस होना, मतली या दस्त आना, हल्के रंग का मल त्यागना और भूख में कमी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
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ज्यादातर लिवर रोगों में जल्दी कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते इसलिए अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर ध्यान देते रहें और अगर आपको कोई भी लक्षण लगातार महसूस हो तो बिना लापरवाही किये तुरंत डॉक्टर या गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। लिवर रोगों की पुष्टि के लिए डॉक्टर लिवर फंक्शन टेस्ट, कंपलीट ब्लड काउंट, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और लीवर बायोप्सी का सुझाव देते हैं। पुष्टि के बाद लिवर रोगों का उपचार लिवर की क्षति को देखते हुए किया जाता है।
खान-पान पर विशेष ध्यान दें
डॉ मोनिका जैन, चीफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के अनुसार, जिस प्रकार से एक गाड़ी में सबसे महत्वपूर्ण भाग इंजन होता है, ठीक उसी प्रकार से हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण भाग लिवर होता है। यदि आप लिवर के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। लिवर खराब होने के कई कारण होते हैं। जैसे आजकल बढ़ता मोटापा जिस कारण लिवर में सूजन होती है और फैटी लिवर होने लगता है। यदि इस पर ध्यान न दिया जाए तो आगे चलकर एकमात्र सहारा लिवर ट्रांसप्लांट ही बचता है। आजकल लोग दवाइयों का अधिक सेवन कर रहे हैं, जिसका बुरा असर आपके लिवर पर पड़ता है। इसलिए दवाइयों का सेवन बहुत ही सावधानी पूर्वक और कम करना चाहिए, फालतू की दवाइयों का सेवन अपने मन से न करें।
इसके अलावा हमारे शरीर में कुछ ऑटोइम्यून प्रोसेसे होते हैं जिससे लिवर खराब होता है। इससे बचने के लिए शुरुआती स्तर पर ही ध्यान देने की आवश्यकता है। जब हम इसमें अधिक लेट हो जाते हैं तो अंतिम विकल्प लिवर ट्रांसप्लांट ही बचता है। इसके लिए आपको मदिरापान से दूरी बनानी चाहिए। हैपेटाइटिस बी और सी की स्क्रीनिंग बहुत ही जरूरी है। अपने डायबिटीज को नियंत्रित रखना चाहिए, अपने मोटापे पर कंट्रोल करना चाहिए। इसके लिए अपने खान-पान में वसा या कार्बोहाइड्रेट का प्रयोग कम करें, प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं एक्सरसाइज नियमित करें। इससे आपकी लिवर पर भी स्वस्थ असर पड़ता है, आपके लिवर का फैट भी एक्सरसाइज के माध्यम से धीरे-धीरे कम होता है। यदि आपके लिवर से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, समय-समय पर अपनी जांच करते रहें।