स्वास्थ्य और बीमारियां

अंधेपन का खतरा बढ़ा सकता है Sugar, जानें इसका कारण और बचाव के उपाय

अक्‍सर कई लोगों का ब्लड शुगर का सामान्य से अधिक बना रहता है, जो हेल्‍थ के लिए कई मामलों में गंभीर हो सकता है। हाई शुगर लेवल (High Sugar Level) के कारण टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की दिक्‍कत होती है, जिसे वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती क्रोनिक बीमारी के रूप में जाना जाता है।

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि अगर आप अपने शुगर को ठीक तरीके से कंट्रोल नहीं रखते हैं तो इसका कई अंगों पर नकारात्मक असर हो सकता है। यही वजह है कि डायबिटीज के शिकार लोगों में हृदय रोग, पैरों में घाव, किडनी की बीमारी और आंखों की समस्याओं का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।साथ ही डायबिटीज रोगियों में आंखों की बीमारी, कम दिखाई देने जैसी समस्याओं का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में ज्‍यादा होता है। समय के साथ शुगर की बीमारी आंखों की तंत्रिकाओं, रेटिना को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे अंधेपन का भी खतरा हो सकता है।

डायबिटीज में आंखों की परेशानियां

डायबिटीज ऐसी बीमारी है, जिसमें आपके रक्त में ग्लूकोज या शुगर का स्तर बहुत ज्‍यादा हो जाता है। हमारे शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। इंसुलिन नामक हार्मोन ग्लूकोज को आपकी कोशिकाओं में जाने में मदद करता है। टाइप-2 डायबिटीज की स्थिति में आपका शरीर इंसुलिन का निर्माण या उपयोग ठीक से नहीं करता है। पर्याप्त इंसुलिन के बिना खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है। ये स्थिति आंखों की रक्त वाहिकाओं और लेंस को नुकसान पहुंचाने वाली मानी जाती है। डायबिटीज में आंखों की रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान को डायबिटिक रेटिनोपैथी के नाम से जाना जाता है।

गर्भावस्था के दौरान रहें सावधान

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की समस्या (गर्भावस्था मधुमेह) या गर्भवती होने से पहले मधुमेह होने पर डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा और भी बढ़ जाता है। अगर आप गर्भवती हैं और डायबिटीज की भी समस्या है तो गर्भावस्था के दौरान नेत्र चिकित्सक से मिलकर अपने जोखिमों की जांच जरूर करा लें।गर्भावस्था के दौरान शुगर को कंट्रोल रखना और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि हाई शुगर के कारण कई अन्य तरह की जटिलताओं का जोखिम बढ़ सकता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी में होने वाली दिक्कतें

डायबिटिक रेटिनोपैथी वयस्कों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। यह रेटिना में मौजूद रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है। इसके कारण रक्त वाहिकाओं में सूजन या आंख में तरल पदार्थ का रिसाव हो सकता है। शुरुआती चरणों में मधुमेह के कारण होने वाली आंखों की समस्याओं में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए, नियमित रूप से आंखों की जांच कराना बहुत जरूरी है, भले ही आपको लगे कि आंखें स्वस्थ हैं।

डायबिटीज मरीज इन लक्षणों पर गंभीरता से दें ध्‍यान

आंखों में धब्बे या गहरे रंग की लहरदार रेखाएं दिखना।

देखते समय ऐसे लगना जैसे कुछ काली छाया हो।

कम दिखाई देना।

आंखों में दर्द या लालिमा की दिक्कत बनी रहना।

इन समस्याओं से कैसे बचें?

शुगर में आंखों को होने वाले नुकसान से बचे रहने के लिए अपने ब्लड शुगर को अच्छे तरीके से नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा नियमित रूप से आंखों की जांच जरूर कराते रहें। ब्लड शुगर के अलावा ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल का बढ़े रहना भी आंखों के लिए हानिकारक है।डायबिटीज के शिकार लोगों को आहार को लेकर भी विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। स्वस्थ और पौष्टिक आहार, विटामिन ए-सी, एंटीऑक्सीडेंट वाली चीजें आंखों की समस्याओं के कम करने और शुगर को कंट्रोल रखने में भी मददगार हो सकती है।

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