अमेरिका में कच्चे दूध में बहुत ज्यादा मात्रा में बर्ड फ्लू पाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह H5N1 वायरस है, जो सबसे पहले 1996 में सामने आया था। साल 2020 से चिड़ियों में इस वायरस का फैलाव तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से दुनियाभर में करोड़ों जंगली बर्ड और मुर्गी पालन फार्मों के मुर्गे मारे गए हैं।
H5N1 का संक्रमण अब बिल्लियों, इंसानों, चमगादड़ों, लोमड़ियों, मिंकों और पेंगुइन जैसी स्तनपायी जीवों में भी फैल चुका है। इसी महीने की शुरुआत में गायों में भी इसका संक्रमण पाया गया।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक टेक्सास, कंसास, मिशिगन, न्यू मैक्सिको, इडाहो, ओहायो, नॉर्थ कैरोलिना और साउथ डकोटा समेत आठ अमेरिकी राज्यों में डेयरी फार्मों के जानवरों में H5N1 का संक्रमण पाया गया है, जिनकी जांच चल रही है।
टेक्सास में पहला मामला
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि टेक्सास के एक डेयरी फार्म में काम करने के दौरान एक शख्स बर्ड फ्लू से संक्रमित हुआ था। वह अब ठीक हो चुका है। यह पहला मामला है जहां किसी इंसान में गाय से बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है।
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अभी तक के अध्ययन में पाया गया है कि चिड़िया से गाय, गाय से गाय और गाय से चिड़िया में भी यह वायरस फैल सकता है। इससे पता चलता है कि इस वायरस के फैलने के रास्ते पहले समझी गई बातों से अलग भी हो सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि अमेरिका के कई राज्यों में गायों के कई झुंड इस वायरस से प्रभावित हुए हैं। साथ ही संक्रमित गायों के कच्चे दूध में इस वायरस की बहुत ज्यादा मात्रा पाई गई है। हालांकि यह वायरस दूध में कैसे जिंदा रहता है, इस पर अभी शोध चल रहा है।
टेक्सास स्वास्थ्य विभाग के अनुसार
डेयरी फार्मों में बीमार गायों का दूध फेंक दिया जाता है, इसलिए दूध की व्यावसायिक आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पैस्टराइजेशन की प्रक्रिया ऐसी चीज़ों को सुरक्षित बनाने में मदद करती है।
पिछले 20 सालों में दुनियाभर में 887 लोग बर्ड फ्लू से संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 462 की मौत हो गई है। इस बीमारी से बचने के लिए जंगली पक्षियों जैसे कबूतर, सीगल और हंसों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।