एंटीथ्रोम्बिन की कमी ब्लड जमने से जुड़ा एक विकार है, जिसमें असामान्य रूप से ब्लड के थक्के जमने लगते हैं। इस विकार से पीड़ित मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस और पल्मोनरी एम्बोलिज्म का खतरा अधिक रहता है। एंटीथ्रोम्बिन की कमी से बनने वाले थक्के मुख्य रूप से पैरों की नसों के आसपास बनते हैं।
इस स्थिति से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में अधिक थक्के जमते हैं। शरीर में इसकी कमी से ब्लड क्लोटिंग की परेशानी हो जाती है। आइए डॉ. नीरज तेवतिया, वरिष्ठ सलाहाकार, पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट, बी.एम.टी. एंड हेमेटोलॉजी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम से जानते हैं एंटीथ्रोम्बिन की कमी क्या है और इसके लक्षण, कारण क्या हैं?
क्या है एंटीथ्रोम्बिन की कमी?
यह एक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसकी वजह से खून में थक्का बनने लगता है। यह स्थिति पैरों की नसों में अधिक देखी जाती है। इसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस के नाम से भी जाना जाता है। डीप वेन थ्रोम्बोसिस काफी दुर्लभ स्थिति है। यह हर 2,000 से 3,000 लोगों में से एक व्यक्ति को होती है।
एंटीथ्रोम्बिन की कमी के लक्षण
इस ब्लड डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में लक्षण एक-दूसरे से काफी अलग-अलग हो सकते हैं। पहला ब्लड क्लॉट आमतौर पर 40 वर्ष की आयु में बनता है। यह सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है। पैरों के आसपास ब्लड क्लोटिंग बनने की वजह से कुछ लक्षण निम्न नजर आ सकते हैं –
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- पैरों की नसों में ब्लड क्लोटिंग होना
- ब्लड क्लोटिंग के साथ सूजन
- लालिमा और दर्द की परेशानी होना
इसके अलावा एंटीथ्रोम्बिन की कमी के लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि ब्लड क्लॉट शरीर के किस हिस्से में मौजूद है। हालांकि, अधिकतर ब्लड क्लोटिंग की परेशानी पैरों के आसपास या फिर फेफड़ों के आसपास होती है। फेफड़ों में ब्लड क्लोटिंग होने पर निम्न लक्षण दिखते हैं –
- कफ की परेशानी होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- छाती में दर्द होना
वहीं, ब्लड क्लोटिंग अगर मस्तिष्क तक पहुंच जाए, तो स्ट्रोक का भी खतरा रहता है।
किन कारणों से होता है एंटीथ्रोम्बिन की कमी?
एंटीथ्रोम्बिन की कमी जेनेटिक स्थिति है। यह SERPINC1 नामक जीन में किसी तरह की गड़बड़ी या बदलाव के कारण हो सकता है। शरीर में SERPINC का कार्य एंटीथ्रोम्बिन नामक प्रोटीन का उत्पादन करना है। ब्लड सर्कुलेशन में यह प्रोटीन पाया जाता है। इस जीन की मदद से ब्लड क्लोटिंग को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। एंटीथ्रोम्बिन शरीर में ऐसे प्रोटीन के कार्यों में अवरुद्ध उत्पन्न करता है, जो ब्लड क्लोटिंग को बढ़ावा देता है। इस स्थिति से प्रभावित लोगों में अन्य लोगों की तुलना में ब्लड क्लोटिंग की परेशानी अधिक होती है।