एक नए अध्ययन से सामने आया है कि बचपन से ही ज्यादा समय बैठे रहने वाले बच्चों में बड़ा खतरा हो सकता है। इससे धमनियां सख्त हो सकती हैं। धमनियों के सख्त होने से शरीर में खून का संचार धीमा हो जाता है, जो आगे चलकर दिल की बीमारी का कारण बन सकता है। हालांकि, अगर हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि की जाये तो इस खतरे को कम किया जा सकता है।
धमनियों का सख्त होना इस बात का खतरा
अध्ययन में पाया गया है कि 11 से 24 साल की उम्र के बीच बच्चों में बैठने का समय 6 से 9 घंटे प्रतिदिन तक बढ़ गया। इससे मोटापा, असामान्य वसा का जमाव, शरीर में सूजन और दिल का बढ़ना जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययनकर्ताओं ने धमनियों के सख्त होने को बचपन और किशोरावस्था के मोटापे, इंसुलिन प्रतिरोध, हाई ब्लड प्रेशर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और दिल की बीमारियों के लिए एक नए खतरे के रूप में पहचाना है।
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उम्र बढ़ने के साथ धमनियां भी स्वाभाविक रूप से सख्त हो जाती हैं। वयस्कों पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि ज्यादा धमनियों का सख्त होना, प्राकृतिक रूप से होने वाले सख्तपन से ज्यादा खतरनाक होता है और इससे अकाल मृत्यु का खतरा 47% तक बढ़ जाता है।
शारीरिक गतिविधि से खतरा होगा कम
अध्ययन में यह भी पाया गया कि दिन में कम से कम 3 घंटे हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि, बचपन में बैठने के कारण धमनियों के सख्त होने की समस्या को कम कर सकती है। हालांकि, अभी व्यायाम संबंधी सरकारी नियमों में हल्की-फुल्की गतिविधियों को शामिल नहीं किया गया है। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि बच्चों को रोजाना कम से कम 3-4 घंटे हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना या घर के काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।