Fatty Liver Disease: पिछले एक-दो दशकों में, दुनियाभर में कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का जोखिम काफी तेजी से बढ़ा है। बड़ी आबादी डायबिटीज और हृदय रोगों से प्रभावित देखी जा रही है, ये तो गंभीर समस्या है ही साथ ही लिवर और किडनी से संबंधित बीमारियां भी स्वास्थ्य क्षेत्र पर दवाब बढ़ाती जा रही हैं। फैटी लिवर डिजीज ऐसी ही तेजी से उभरती समस्या है जिससे वयस्क आबादी काफी ज्यादा प्रभावित है। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन के डेटा और भी चिंता बढ़ा रहे हैं।
नेचर कम्युनिकेशंस मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक शोध में पाया गया है कि दुनियाभर में फैटी लिवर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अकेले अमेरिका में ही हर 10 में से चार लोग फैटी लिवर की समस्या से परेशान हैं। इंस्टीट्यूट फॉर लिवर डिजीज एंड मेटाबोलिक हेल्थ में लिवर रोगों के विशेषज्ञ डॉ. जुआन पाब्लो अरब ने लिवर की इस बढ़ती बीमारी को लेकर सभी लोगों को सावधान रहने और बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहने की सलाह दी है।
एनएएफएलडी मरीजों की भी संख्या में बढ़ोतरी | Fatty Liver Disease
डॉ. जुआन के नेतृत्व वाली टीम के अनुसार, साल 2018 तक के आंकड़ों से पता चला है कि 42% वयस्कों को किसी न किसी प्रकार का फैटी लिवर रोग था। ये पिछले अनुमानों से अधिक है। लिवर की बढ़ती समस्याओं के लिए शराब पीने की आदत को प्रमुख माना जाता रहा है, हालांकि जो लोग शराब नहीं पीत हैं उन्हें भी ये दिक्कत हो सकती है। इसे नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) कहा जाता है। भारतीय आबादी में भी एनएएफएलडी का खतरा अधिक देखा गया है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट करते हैं।
फैटी लिवर डिजीज की समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या में इजाफा | Fatty Liver Disease
इसी साल जुलाई में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने चौंकाने वाले डेटा से लोगों को अवगत कराया था। केंद्रीय मंत्री ने बताया, देश में हर तीसरे व्यक्ति को फैटी लिवर डिजीज की समस्या हो सकती है। मधुमेह और अन्य मेटाबॉलिक विकारों के कारण होने वाली इस बीमारी का खतरा उन लोगों में भी तेजी से बढ़ाता हुआ देखा जा रहा है, जो लोग शराब भी नहीं पीते हैं। पश्चिमी देशों में नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के ज्यादातर मामले मोटापे के शिकार लोगों में देखे जाते रहे हैं हालांकि भारत में देखा जा रहा है कि बिना मोटापे वाले करीब 20 फीसदी लोग भी इसका शिकार देखे जा रहे हैं।
क्या है नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज? |Fatty Liver Disease
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, लिवर की बीमारी है जिसमें लिवर में बहुत अधिक वसा जमा होने लगती है। इससे इस अंग का सामान्य कार्य प्रभावित होने लग जाता है। विशेषज्ञों को ठीक से पता नहीं है कि लिवर में वसा बनने के लिए क्या कारण जिम्मेदार हैं, हालांकि जीवनशैली के कारक इसका खतरा बढ़ाने वाले माने जाते हैं। अध्ययन में एनएएफएलडी और कई प्रकार की मेटाबॉलिक बीमारियों जैसे मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों के बीच संबंध पाया गया है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर के शिकार लोगों की निरंतर देखभाल और इलाज बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा इस रोग के बढ़ते जोखिमों को कम करने के लिए लाइफस्टाइल और आहार दोनों में सुधार किया जाना चाहिए।
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए करें उपाय | Fatty Liver Disease
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लिवर से संबंधित गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि आप वजन को कंट्रोल रखें। स्वस्थ आहार लें जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा भरपूर मात्रा में हो। इसके अलावा शराब, चीनी और नमक की सेवन कम से कम करें। सोडा, स्पोर्ट्स ड्रिंक, पैक्ड जूस और अन्य मीठे पेय पदार्थों के अधिक सेवन के कारण भी आप फैटी लिवर के शिकार हो सकते हैं। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट के व्यायाम की आदत बनाइए। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले लोगों में क्रोनिक बीमारियों का खतरा कम देखा जाता रहा है।