छोटे बच्चों के लिए डायरिया एक बड़ी समस्या है, हर साल भारत में 5 लाख से ज्यादा 5 साल से कम उम्र के बच्चे डायरिया की वजह से मर जाते हैं। पर इस बीमारी का एक सस्ता और आसान इलाज मौजूद है – ओआरएस (Oral Rehydration Salts)। यह नमक और चीनी का घोल है जो शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।
अजीब बात यह है कि डॉक्टर बहुत कम ही ओआरएस देते हैं, जबकि यह बहुत सस्ता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसे सालों से सुझाता रहा है। हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि डॉक्टर ओआरएस कम क्यों देते हैं।
डॉक्टर ओआरएस कम क्यों देते हैं?
शोध से पता चला कि डॉक्टर कम ओआरएस देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मरीज दवाइयां ही चाहते हैं। उन्हें नहीं लगता कि मरीज ओआरएस लेना पसंद करेंगे। पर असल में ज्यादातर मरीज ओआरएस लेने को तैयार हैं। डॉक्टरों की इस गलतफहमी की वजह से हर साल लाखों बच्चों की जान जा रही है।
कैसे हुआ शोध?
शोधकर्ताओं ने भारत के दो राज्यों, कर्नाटक और बिहार में 2,000 से ज्यादा डॉक्टरों से बात की। उन्होंने ऐसे लोगों को भी तैयार किया जो मरीज बनकर डॉक्टरों के पास गए। ये “मरीज” अपने 2 साल के बच्चे के लिए इलाज मांगते थे, पर असल में बच्चे वहां नहीं थे।
शोध में क्या पता चला?
शोध में पता चला कि डॉक्टरों की गलतफहमी ही ओआरएस कम दिए जाने का सबसे बड़ा कारण है। 42% मामलों में यही वजह थी। दवाओं की कमी या पैसे के लालच का असर बहुत कम था।
क्या है समाधान?
इस शोध से पता चलता है कि अगर मरीज डॉक्टरों से सीधे ओआरएस मांगे और डॉक्टरों को बताया जाए कि मरीज ओआरएस लेना चाहते हैं, तो ओआरएस का इस्तेमाल बहुत बढ़ सकता है। इससे बच्चों की जानें बचाई जा सकती हैं और बेवजह एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल भी कम हो सकता है।