घुटना, कोहनी या अन्य हड्डियों के ज्वाइंट वाले हिस्से में लगी चोट और मोच आने से हुआ लिगामेंट ब्रेक असहनीय दर्द का कारण बन रहा है। विशेषकर चोट लगने के बाद एक्स-रे रिपोर्ट में फ्रेक्चर नजर नहीं आने पर मरीज की ओर से इलाज कराने में बरती गई लापरवाही बड़ा दर्द दे रही है। मेडिकल अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-2 के पांच से सात मरीज पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-2 के मरीजों के लिए सर्जरी सभव नहीं होती।
लिगामेंट ब्रेक
लिगामेंट दो अस्थियों को आपस में जोड़ते हैं। जोड़ों को स्थायित्व भी प्रदान करते हैं। अस्थि विभाग की ओपीडी में 100-120 मरीज रोजना आते हैं। जिसमें से लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-1 और ग्रेड-3 के 1-2 मरीज होते हैं तो वहीं लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-2 के 5-7 मरीज होते हैं।
लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-1
लिगामेंट ब्रेक होने पर ग्रेड-1 की चोट में फाइबर खिंच जाते हैं। ऐसे में चिकित्सक बर्फ की सिंकाई, गर्म पट्टी बांधने व शरीर के चोटिल हिस्से में ज्यादा वजन नहीं डालने की सलाह देते हैं। इससे मरीज को कुछ दिनों में इलाज मिल जाता है।
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लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-2
लिगामेंट में ग्रेड 2 की चोट में हड्डियों को जोड़े रखने वाले फाइबर थोडा ज्यादा टूट जाते हैं लेकिन एक्स-रे में नजर नहीं आते। ऐसे में मरीज को प्लास्टर लगाने और आराम करने की सलाह दी जाती है। एक्स-रे में फ्रेक्चर नजर नहीं आने पर ज्यादातर मरीज इसे गंभीरता से नहीं लेते इसलिए यह असहनीय दर्द का कारण बनता है। इस ग्रेड की ज्यादातर समस्या ज्वॉइंट के पूरी तरह से मुड़ जाने पर होती है।
लिगामेंट ब्रेक ग्रेड-3
लिगामेंट में ग्रेड-3 की चोट होने पर घुटना या कोहनी में ज्वॉइंट पर लचक बढ़ जाती है। इस प्रकार की समस्या होने पर मरीज की सर्जरी करनी पड़ती है।
लिगामेंट ब्रेक की ग्रेड-2 की चोट मरीज के लिए असहनीय दर्द का कारण बन रही है। इस तरह के मामलों में एक्स- रे रिपोर्ट में फ्रेक्चर नजर नहीं आता, लेकिन हड्डी की ज्वॉइंट के फाइबर ज्यादा टूट जाते हैं। ऐसे में मरीज इलाज के दौरान बताई गई सावधानी का ध्यान नहीं रखते, प्लास्टर भी नहीं बंधवाते जिससे परेशानी और बढ़ जाती है। – डॉ.केके पांडे, अस्थि रोग विशेषज्ञ, मेडिकल अस्पताल