पहले बच्चे की खुशी तो बहुत होती है। मगर दूसरा बच्चा भी उतना ही प्यारा होता है। पर इन दिनों बहुत सारे जोड़े दूसरे बच्चे के समय परेशानियों का अनुभव करते हैं। कईयों को पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के आने में दस साल तक का इंतजार करना पड़ता है। वास्तव में पहली बार गर्भधारण के बाद दूसरी बार होने वाली असफलता सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के कारण हो सकता है। पहली बार स्वाभाविक तौर पर हुई प्रेगनेंसी के बाद शरीर में कई प्रकार के बदलाव आने लगते हैं, जिससे इलफर्टिलिटी बढ़ने लगती है।
इस बारे में प्रिस्टीन केयर की को फाउंडर डॉ गरिमा साहनी ने बताया, सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का मतलब है कि पहला बच्चा होने के बाद दूसरी बार महिला को गर्भवती होने में परेशानी का सामना करना। एक्सपर्ट के अनुसार ऐसा नहीं है कि अगर किसी कपल को पहले बच्चा हो चुका हो, तो दूसरे बच्चे का होना स्वाभाविक हो।
कई मामलों में महिलाओं को दूसरी बार गर्भवती होने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। शरीर में होने वाले बदलाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या अन्य कारण इस समस्या को बढ़ा देते हैं। इससे किसी महिला को दूसरी बार गर्भवती होने में मुश्किल होती है।
क्यों बढ़ने लगती है सेकेंडरी इनफर्टिलिटी की समस्या
एक्सपर्ट के अनुसार, कपल्स के लिए सेकेंडरी इनफर्टिलिटी बेहद तनावपूर्ण समस्या होती है। दरअसल, महिला जब पहले सफलतापूर्वक गर्भधारण करने में सक्षम रही है तो दूसरी बार कई कारणों से इनफर्टिलिटी बढ़ जाती है।
अंडे की गुणवत्ता में उम्र से संबंधित परिवर्तन, पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस या जीवनशैली में बदलाव रिप्रोडक्टिव हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं। सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के लिए वजन बढ़ना, स्पर्म क्वालिटी या ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब से संबंधित जटिलताएं भी शामिल होती हैं।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी से बचने का क्या है तरीका
कैफीन और अल्कोहल
अधिकतर महिलाएं दिनभर एक्टिव रहने के लिए कैफिनेटिड बैवरेजिज़ की मदद लेती हैं। इसका असर उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर भी दिखने आने लगता है। इसके अलावा अल्कोहल इनटेक बढ़ाने से भी बांझपन की समस्या बढ़ जाती है। चाय, कॉफी और अल्कोहल के सेवन को नियंत्रित करने का प्रयास करें।
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हेल्दी वेट मेंटेन
ओवरवेट सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का कारण बनता है। दरअसल, ओवरवेट महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन बढ़ जाता है जिसका असर पीरियड पर दिखने लगता है। वहीं पुरूषों में बढ़ने वाला मोटापा स्पर्म की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करता है। ऐसे में ओवरइटिंग से बचें और दिनभर में कुछ वक्त वर्कआउट के लिए अवश्य निकालें।
संतुलित आहार
आहार में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाएं। मील में कार्ब्स को कम करके प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, आमेगा 3 फैटी एसिड और फोलेट को एड करें। इससे कैलोरीज़ को संतुलित रखने में मदद मिलती है। साथ ही शरीर में कैलोरी इनटेक से बचा जा सकता है। इसके अलावा दिनभर में छोटी मील्स लें।
शरीर को हाइड्रेटेड रखें
शरीर को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखने के लिए रोज़ाना 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों से मुक्ति मिलती है। साथ ही निर्जलीकरण से एग क्वालिटी प्रभावित होती है। इसके अलावा सर्विकल म्यूकस सिक्रीशन भी घट जाता है। स्पर्म आसानी से फैलोपियन ट्यूब तक नहीं पहुंच पाता।
नियमित शारीरिक व्यायाम
कसरत करना निश्चित रूप से समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। किसी ट्रेनर की देखरेख में ही व्यायाम करें। इससे शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है। अत्यधिक परिश्रम भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
डॉक्टर से संपर्क करें
गर्भावस्था की योजना बनाने से एक साल या छह महीने पहले अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना बहुत महत्वपूर्ण है। समय से जांच करवाने पर रिप्रोडक्टिव हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है।