स्वास्थ्य और बीमारियां

सर्दी में हो गये हैं आलसी, कहीं आपको विंटर डिप्रेशन तो नहीं? जानें इसका कारण और बचाव

ठंड के साथ शरीर में आलस बढ़ता है. जब-जब मौसम में बदलाव होता है तो उसका असर आपके मूड पर भी पड़ता है. कुछ लोगों में इसकी वजह से डिप्रेशन भी हो जाता है. दरअसल, सर्दियों में कई-कई दिनों तक धूप नहीं निकलती जिसका असर हमारे मूड पर पड़ता है. इस दौरान बहुत से लोगों में चिड़चिड़ापन हो जाता है और बात-बात पर गुस्सा आने लगता है. इसे ही विंटर डिप्रेशन कहा जाता है.

एक स्टडी के अनुसार बताया जाता है कि ऐसा सूर्य की रोशनी की वजह से होता है, क्योंकि इसका मूड से गहरा नाता होता है. यही कारण है कि सर्दी के दिनों में धूप खिलने पर मूड अच्छा हो जाता है और धूप न निकलने पर मूड खराब हो जाता है.

विंटर डिप्रेशन क्यों होता है

ठंडियों में हमारी बॉडी की बायोलॉजिकल क्लॉक में बदलाव होना काफी आम होता है. कम धूप की वजह से सेरोटोनिन लेवल में कमी आ जाती है, जिससे विंटर डिप्रेशन की समस्या हो जाती है. हमारे देश में हर साल ठंड के मौसम में करीब 1 करोड़ लोग विंटर डिप्रेशन की चपेट में आते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुबह की धूप दिमाग के जागने और अलर्ट रहने के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी होती है.

सुबह की धूप क्यों जरूरी है?

सर्दियों में सुबह की धूप जरूरी होती है क्योंकि हमारे दिमाग से स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसॉल रिलीज होता है, जो हमें जागने और अलर्ट रहने के लिए तैयार करता है. सुबह की धूप से हेल्दी कॉर्टिसॉल शरीर को मिल जाता है जिसे डिप्रेशन नहीं होता. सुबह की धूप से हैप्पी हॉर्मोन डोपामाइन भी निकलता है, जिससे मन खुश होता है और मन को मोटिवेशन मिलता है.

विंटर डिप्रेशन से बचने के लिए क्या करें

सर्दी के मौसम में सुबह की धूप सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है. यह मानसिक सेहत के लिए भी बेहतर होती है. सर्दियों में धूप से बचने की बजाय धूप में कुछ देर बितना चाहिए. खुली जगह धूप में बैठने से शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होगी और सीजनर अफेक्टिव डिसऑर्डर जैसे थकान, चिड़चिड़ापन, सुस्ती और मूड स्विंग से भी बच सकते हैं.

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