Drawbacks of Unhealthy Food: आपकी सेहत आपके खाने-पीने पर ही निर्भर करती है। अच्छे खाने-पीने से पेट, आंत और पाचन तंत्र दुरुस्त रहते हैं। ध्यान रहे कि गट हेल्थ शरीर के कई जरूरी कामों से जुड़ी होती है, जैसे कि पाचन प्रक्रिया, इम्यून सिस्टम, और मानसिक स्वास्थ्य। गट हेल्थ खराब होने से आपको कब्ज, गैस, एसिडिटी, बवासीर, अपच, एसिड रिफ्लक्स जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं, जो आपके रोजाना का कामकाज को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। अच्छी गट हेल्थ के लिए बैलेंस्ड डायट, पर्याप्त फाइबर, प्रोबायोटिक्स, और हाइड्रेशन का खास ध्यान रखना चाहिए। आजकल लोग अनहेल्दी फूड्स का सेवन ज्यादा कर रहे हैं। आइये आपको बताते हैं हैं कि गट हेल्थ के लिए सबसे खतरनाक खाने की चीजें कौन-कौन सी हैं।
पाचन तंत्र प्रभावित करता है अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड | Drawbacks of Unhealthy Food
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में प्रिजर्वेटिव की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा इनमें अनहेल्दी फैट भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है। इनके सेवन से गट माइक्रोबायोम डिस्टर्ब हो सकते हैं जिससे आपका पाचन तंत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इन्हें पचाना बहुत मुश्किल होता है और यह पाचन के काम को धीमा कर सकते हैं। इतना ही नहीं, इनके सेवन गैस और एसिड रिफ्लक्स की समस्या भी हो सकती है। डीप फ्राई का कभी कभार सेवन करें और इसके लिए रिफाइंड ऑयल, ओलिव ऑयल, अवोकेडो ऑयल, घी और रिफाइंड कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल करें। डाइट में आर्टिफीसियल स्वीटनर जैसे aspartame होता है जो आंतों के बैक्टीरिया को डैमेज कर सकता है। इसी तरह ड्रिंक्स में शुगर की मात्रा अधिक होती है जिससे पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है।

गट हेल्थ को बेहतर बनाने के सुझाव | Drawbacks of Unhealthy Food
- फाइबर का सेवन करें- अनाज, फल, और सब्जियों में अधिक फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है।
- प्रोबायोटिक्स: दही, छाछ, और अन्य फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं।
- पानी पीना: शरीर में पर्याप्त पानी रखने से पाचन में सुधार होता है और आँतों में सूजन कम होती है।
- चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज: चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स गट के बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इन्हें कम मात्रा में लेना चाहिए।
- तनाव से बचें: तनाव का भी गट हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए योग और ध्यान जैसी तकनीकों से इसे कम किया जा सकता है।
