मोतियाबिंद का मतलब है लेंस में धुंधलापन। उम्र बढ़ने के साथ लेंस में मौजूद प्रोटीन आपस में मिलकर मोतियाबिंद बनाते हैं। यह दृष्टि हानि व्यक्ति के दैनिक कामों को आसानी से करने की क्षमता में बाधा डालती है। समय के साथ जैसे-जैसे मोतियाबिंद बढ़ता है, लेंस ज़्यादा अपारदर्शी या धुंधला हो जाता है। इससे व्यक्ति की दृष्टि कमज़ोर हो सकती है। उम्र के अलावा, मधुमेह, धूम्रपान, शराब, लंबे समय तक धूप में रहने और दवाओं के सेवन के कारण भी दृष्टी हानि का खतरा रहता हैं।
डॉक्टर संजीव तनेजा, नेत्र विशेषज्ञ, अपोलो स्पेक्ट्रा दिल्ली करोल बाग के अनुसार, मोतियाबिंद आंखों की एक आम समस्या है। यह समस्या गंभीर हो सकती है अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए। मोतियाबिंद के कारण आंख के लेंस में धुंधलापन आ जाता हैं, जिससे दृष्टि पर असर पड़ता है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं हुआ तो अंधेपन का सामना करना पड़ सकता है। मोतियाबिंद की समस्या अक्सर कई लोगों में बढ़ती उम्र के साथ देखने को मिलती है लेकिन अब यह समस्या केवल वृद्ध लोगों में ही नहीं, बल्कि 40 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में भी देखी जाती है।
अंधेपन के कारण कई लोगों में पढ़ना, लिखना, टीवी देखना, गाड़ी चलाना और अन्य कई दैनिक गतिविधियों में बाधा आ सकती है इसलिए आंखों की समस्या हो तो तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। मोतियाबिंद आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होता है हालांकि प्रगति की दर सभी व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकती है। उम्र का बढ़ना मोतियाबिंद का प्राथमिक कारण है।
मोतियाबिंद के लक्षण
- आंखों में धुंधलापन
- कम रोशनी के कारण देखने में दिक्कत होना
- तेज रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
- स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई
- रंग फीका या पीला दिखाई देना
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मोतियाबिंद का अगर समय रहते पता चल जाए तो इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है या रोका भी जा सकता है। मोतियाबिंद के निदान की पुष्टि करने के लिए व्यापक नेत्र परीक्षण करवाना अनिवार्य है। इसका तुरंत उपचार करना जरुरी है क्योंकि इस स्थिति की उपेक्षा करने से आगे और जटिलताएँ हो सकती हैं। मोतियाबिंद के परिपक्व होने या पकने का इंतज़ार करने से न केवल आपकी दृष्टि लंबे समय तक प्रभावित होगी, बल्कि सर्जरी और रिकवरी में भी अधिक समय लग सकता हैं है।
मोतियाबिंद पूरी दुनिया में दृष्टि दोष का एक प्रमुख कारण है। जब मोतियाबिंद बनना शुरू होता है तो लेंस धुंधला हो जाता है जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है। प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है और व्यक्ति अपनी दृष्टि खो सकता है। जैसे-जैसे मोतियाबिंद बढ़ता है, रंग फीके दिखाई दे सकते हैं और रात में दृष्टि प्रभावित हो सकती है। प्रभावित लेंस को हटाने या बदलने के लिए सर्जरी जैसे तत्काल उपचार के बिना, मोतियाबिंद अपरिवर्तनीय दृष्टि हानि का कारण बन सकता है
शुरुआती मोतियाबिंद के लक्षणों को चश्मे का उपयोग करके या चश्मे की शक्ति बदलकर प्रबंधित किया जा सकता है। इसकी सर्जरी धुंधले लेंस को हटाने और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए कृत्रिम लेंस लगाने में मदद करती है। मोतियाबिंद को हटाने की आवश्यकता तब होती है जब दृष्टि हानि के कारण आपके लिए पढ़ना और गाड़ी चलाना जैसी गतिविधियाँ करना मुश्किल हो जाती हैं।
मोतियाबिंद को रोकने के लिए करें ये चीजें
मोतियाबिंद को रोकने के लिए धूप का चश्मा पहनें, धूम्रपान छोड़ें, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे गाजर, जामुन, केला, खुबानी, कद्दू और नट्स का सेवन करें और नियमित रूप से आंखों की जांच करायें। समय के साथ मोतियाबिंद धीरे-धीरे खराब हो जाता है जिससे धुंधली दृष्टि, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और रात में देखने में कठिनाई होती है। इसके अलावा इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है, जिससे हताशा, अलगाव और अवसाद की समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सही समय पर इसकी पहचान कर उचित इलाज से इनसे बचा जा सकता है।