स्वास्थ्य और बीमारियां

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2023 : देश में तेजी से पैर पसार रहा कैंसर, 2040 तक हर साल सामने आएंगे 20 लाख मरीज

कैंसर दुनियाभर में होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। लगभग सभी उम्र वालों में इसका खतरा देखा जाता रहा है। महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे कॉमन हैं, जबकि पुरुषों में लंग्स और प्रोस्टेट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारियों के मुताबिक कैंसर के कारण साल 2022 में आठ लाख लोगों की जान गई। पिछले साल 14.61 लाख से अधिक लोगों में कैंसर का पता चला, 2020 जुलाई से 2023 तक में 69,000 मामलों में वृद्धि हुई है।

कैंसर के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए सभी लोगों को कैंसर से बचाव के लिए अपना खास ख्याल रखना चाहिए। कैंसर के शीघ्र पहचान, रोकथाम और उपचार के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल भारत में 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

वहीं इंडियन कांग्रेस (आईसीसी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में देश में हर साल 1.4 मिलियन (14 लाख) नए कैंसर के मामले सामने आ रहे है, इस पर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2040 तक यह बढ़कर 2 मिलियन (20 लाख) हो सकते है। आंकड़ों के अनुसार भारत में कैंसर के सबसे अधिक मामले पूर्वोत्तर राज्यों से सामने आ रहे हैं।

मिजोरम की राजधानी आइजोल में पुरुषों की प्रति एक लाख जनसंख्या पर कैंसर के करीब 270 मामलों का निदान किया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कैंसर से बचाव के लिए आवश्यक है कि कम उम्र से ही इसके लिए प्रयास किए जाते रहें। कुछ आदतों से दूरी बनाना बहुत जरूरी है।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है शराब-तंबाकू का सेवन कैंसर होने का एक बड़ा कारण है। तम्बाकू, शरीर की सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा कवच को क्षति पहुंचाकर रोग के प्रति आपकी संवेदनशीलता बढ़ा देती है।

तम्बाकू और धूम्रपान को सिर-गर्दन, फेफड़े, मूत्राशय और अग्न्याशय के कैंसर सहित 14 प्रकार के कैंसर के विकास वाला पाया गया है। इसी तरह शराब के सेवन को ग्रासनली, स्तन और लिवर सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए जोखिम कारक पाया गया है।

कैंसर से बचाव के लिए करें ये काम

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, महिलाओं को 40 वर्ष की आयु के बाद से हर साल वार्षिक मैमोग्राम कराना चाहिए। स्तन कैंसर के उच्च जोखिम वाली महिलाओं को पहले से ही जांच शुरू करने की आवश्यकता हो सकती है।

30 साल की उम्र तक अपने जोखिम के बारे में डॉक्टर से बात करना सबसे अच्छा है, जल्दी निदान हो जाने से रोग के गंभीर स्थिति में पहुंचने का खतरा और इसके कारण मृत्यु के जोखिम को कम किया जा सकता है।

इसके साथ ही डॉक्टर्स की टीम कहती है, कैंसर के कारण होने वाले जोखिमों को कम करने में समय पर टेस्टिंग मददगार हो सकती है। साथ ही सभी लोगों को लाइफस्टाइल को ठीक रखना बहुत आवश्यक है।

धूम्रपान और शराब से बचाव, हानिकारक यूवी विकिरण से बचाव, वजन को कंट्रोल रखना आपमें कैंसर के साथ कई प्रकार की अन्य क्रोनिक बीमारियों के जोखिमों से बचाने वाली हो सकती है। सभी लोगों को कम उम्र से ही सुरक्षात्मक तौर पर इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

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