आपको बाजार (Market) में दो तरह के टमाटर मिल जाते हैं- हाइब्रिड और देसी। इन दोनों तरह के टमाटरों का काम एक ही जैसा होता है। मगर, देसी और हाइब्रिड टमाटर में जमीन-आसमान का फर्क होता है। यहां तक कि दोनों के कीमतों में भी काफी ज्यादा फर्क होता है।भारत में देसी और हाइब्रिड दोनों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। हमारे देश में देसी टमाटर की मांग काफी ज्यादा है, क्योंकि इसमें कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इससे किसान को मुनाफा भी काफी ज्यादा होता है।
वहीं, हाइब्रिड टमाटर हल्के लाल रंग के टाइट-टाइट होते हैं। इस तरह के टमाटर में रस नहीं होता है। इन टमाटरों का स्वाद बिल्कुल भी फीका होता है। लेकिन, यह ज्यादा दिन तक चलते नहीं है। यह टमाटर शरीर के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि उपजाने के लिए काफी ज्यादा दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
हाइब्रिड से काफी ज्यादा अच्छे होते हैं देसी टमाटर
देसी टमाटर, हाइब्रिड टमाटर से काफी ज्यादा अच्छे होते हैं। इनमें जो स्वाद होता है, वह आपको हाइब्रिड से काफी ज्यादा अलग मिलेगा। सब्जी में अगर आप एक भी देसी टमाटर डाल दें स्वाद आ जाता है तो वहीं, हाइब्रिड टमाटरों में ज्यादा स्वाद नहीं आता है। यह स्वास्थ्य के लिए उतना फायदेमंद नहीं होता है।देसी टमाटर, जिन्हें हीरलूम टमाटर भी कहा जाता है। खुले परागण वाले और गैर-संकर होते हैं। हाइब्रिड टमाटर दो किस्मों के बीच का क्रॉस है।
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देसी टमाटरों को उगाने और पकाने में प्राकृतिक तरीके अपनाए जाते हैं, जबकि हाइब्रिड टमाटरों को कई तरह के केमिकल से पकाया जाता है। हाइब्रिड किस्मों की तुलना में देसी टमाटर की तीव्रता का स्वाद आपको हैरान कर देगा। हाइब्रिड टमाटरों में स्थानीय किस्मों की तुलना में मोटा गूदा और छिलका होता है। देसी या स्थानीय टमाटर में रसदार गूदा और पतली त्वचा होती है और पकाते समय जल्दी टूट जाता है।देसी टमाटरों की मार्केट में काफी ज्यादा डिमांड है। हाइब्रिड वाले टमाटर लोग उतना ज्यादा पसंद नहीं करते है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।