हर साल 25 अप्रैल को विश्वभर में ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में मलेरिया के प्रति जागरुकता फैलाना और मलेरिया की रोकथाम कर संक्रमित लोगों की जान बचाना है। मलेरिया एक परजीवी बीमारी है, परजीवी संक्रमित मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है।
मलेरिया से संक्रमित व्यक्तियों को ठंड के साथ बुखार आता है। यह बुखार काफी तेज हो सकता है। इसके अलावा पसीना आना, दस्त लगना, पेट में दर्द, सांस लेने में परेशाानी और भ्रम की स्थिति जैसे लक्षण नजर आते हैं। अगर आपको मलेरिया जैसे लक्षण दिख रहे हैं, तो इस स्थिति में आपको तुरंत जांच की जरूरत होती है। कुछ जरूरी टेस्ट की मदद ले आयूजीसीप मलेरिया को गंभीर होने से रोक सकता है। साथ ही जान का जोखिम भी कम होता है।
न्यूबर्ग डायग्नोसिस सेंटर के चीफ ऑफ लैब डॉ. विज्ञान मिश्रा ने बताया कि मलेरिया के संकेत दिखने पर कौन-कौन सी जांच करानी चाहिए?
मलेरिया के लक्षण दिखने पर ये जांचें जरूरी
शारीरिक परीक्षण : शुरुआती अवस्था में हेल्थ एक्सपर्ट मरीज का शारीरिक परीक्षण करता है। इसमें उनके शरीर में दिखने वाले बदलावों पर ध्यान देता है। मुख्य रूप से मलेरिया के संकेत जैसे- ठंड लगना, पसीना, थकान के आधार पर अन्य जांच की सलाह देता है।
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मेडिकल हिस्ट्री : शारीरिक परीक्षण के बाद डॉक्टर आपके मेडिकल हिस्ट्री को जानने की कोशिश करता है, जिसमें मलेरिया-स्थानिक क्षेत्रों का हाल क्या है, पहले कभी मलेरिया हुआ है या नहीं इस बारे में जानने की कोशिश, इसके साथ ही अन्य सवाल के जरिए मेडिकल हिस्ट्री जानता है।
ब्लड टेस्ट: अगर डॉक्टर को मलेरिया के संकेत दिखते हैं, तो वे आपसे ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देता है। इन टेस्ट में कुछ जरूरी बातों को जानने की कोशिश करता है, जैसे-
- गाढ़ा और पतला ब्लड : खून में मलेरिया परजीवियों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए ब्लड की एक बूंद को माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर इसकी जांच की जाती है।
- रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी): इस ब्लड टेस्ट के जरिए ब्लड में मलेरिया एंटीजन का पता लगाया जाता है।
- क्वांटेटिव बफी कोट (क्यूबीसी) परीक्षण: इस परीक्षण के जरिए ब्लड सैंपल की स्टैनिंग की जाती है, जिससे ब्लड में परजीवियों को माइक्रोस्कोप की मदद से सही तरीके से देखा जा सके।
- पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर): पीसीआर परीक्षण अधिक संवेदनशील होते हैं और ब्लड में मलेरिया परजीवियों के निम्न स्तर का पता लगाने में काफी सहायक होते हैं। इनका उपयोग अक्सर उन मामलों में किया जाता है, जहां अन्य परीक्षण के परिणाम सही से नहीं आते हैं।
- लिवर फंक्शन टेस्ट: मलेरिया लिवर को प्रभावित कर सकता है, इसलिए लिवर के स्वास्थ्य का आंकलन करने के लिए कुछ हेल्थ एक्सपर्ट लिवर फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
- कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी): मलेरिया होने की स्थिति में मरीजों को एनीमिया और प्लेटलेट काउंट में कमी की परेशानी हो सकती है। इस स्थिति में डॉक्टर आपको सीबीसी कराने की सलाह दे सकता है।
- इलेक्ट्रोलाइट परीक्षण: मलेरिया से डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, इसलिए इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।