भोजपुरी, हिंदी और मैथिली भाषाओं में अपने गीतों के लिए मशहूर और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से फेमस गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार (5 नवंबर) को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं और अस्पताल में भर्ती थीं। मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, शारदा सिन्हा मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) नामक ब्लड कैंसर (Blood Cancer) से जूझ रही थीं। सोमवार को उनकी हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अंतिम सांस ली।
जानकारियों के अनुसार, साल 2018 में पता चला था कि शारदा सिन्हा को मल्टीपल मायलोमा नामक ब्लड कैंसर (Multiple Myeloma Blood Cancer) है। कैंसर के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। मल्टीपल मायलोमा, जिसे काहलर रोग के नाम से भी जाना जाता है, ये एक दुर्लभ रक्त कैंसर है, जिसकी वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

क्या है मल्टीपल मायलोमा? (What is Multiple Myeloma?)
मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो प्लाज्मा सेल नामक सफेद रक्त कोशिका में बनता है। स्वस्थ प्लाज्मा सेल्स एंटीबॉडी बनाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। मल्टीपल मायलोमा तब होता है, जब स्वस्थ कोशिकाएं असामान्य कोशिकाओं में बदल जाती हैं। ये कोशिकाएं असामान्य एंटीबॉडी बनाने लगती हैं, जिसे एम प्रोटीन्स कहा जाता है। जोकि रक्त, हड्डियों और अन्य अंगों को प्रभावित करता है।
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मल्टीपल मायलोमा के लक्षण (Multiple Myeloma Symptoms)
इस बीमारी के कई लक्षण हो सकते हैं, जो धीरे-धीरे उभरते हैं। इसमें हड्डियों में दर्द, कमजोरी, थकान, बुखार और किडनी से जुड़ी समस्याएं प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा शरीर में कैल्शियम का स्तर असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और टूटने का खतरा रहता है। किडनी में भी नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि असामान्य प्रोटीन रक्त को शुद्ध करने में समस्या उत्पन्न करता है।

मल्टीपल मायलोमा का इलाज
मल्टीपल मायलोमा का इलाज संभव है, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक होने की गारंटी नहीं देता। इस बीमारी के इलाज में आमतौर पर कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का सहारा लिया जाता है। इन इलाजों के जरिए कोशिकाओं के असामान्य बढ़ाव को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में रोगी के इम्यून सिस्टम पर असर पड़ सकता है, इसलिए सावधानी बरतनी होती है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित मरीज जीवनशैली में बदलाव कर और नियमित चिकित्सीय देखभाल से अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना, तनाव कम करना और नियमित व्यायाम से शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।