हिमालय औषधीय जड़ी-बूटियों का भंडार है. यहां कई ऐसी जड़ी-बूटियां व पौधे पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी साबित होता है. ऐसा ही एक औषधीय पौधा वच है. दिखने में किसी सामान्य हरे घास की तरह लगने वाला यह पौधा कई असाध्य बीमारियों में रामबाण इलाज है।
इसका प्रयोग घरेलू नुस्खों के साथ दवाई बनाने में भी किया जाता है. वच यूरोपीय मूल का पौधा है. लेकिन मध्य हिमालयी क्षेत्रों में भी यह पाया जाता है. पुराने समय से ही इसका प्रयोग लोग विभिन्न बीमारियों में करते थे. औषधीय पौधा होने के कारण जंगलों से इस पौधे का बड़ी मात्रा में दोहन होता आया है, जिसका कारण है कि आज यह एक रेयर प्लांट है।
उत्तराखंड की गढ़वाल यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर बताती हैं कि वच के पौधे के कई बेनिफिट हैं. इसकी मुख्य रूप से 6 प्रजातियां हैं, जिनका अपना-अपना औषधीय लाभ है. इसके पत्तों से लेकर जड़ों तक सभी का प्रयोग दवाइयों के लिए किया जाता है. वह आगे जानकारी देते हुए बताती हैं कि हकलाने और तुतलाने की समस्या ठीक करने के लिए भी वच काफी कारगर साबित होता है।
प्रतिदिन वच के ताजे तने का 1 ग्राम का टुकड़ा सुबह- शाम चूसना चाहिए. अगर लगातार 6 महीने तक इसका इस्तेमाल किया गया, तो लाभ देखने को मिलता है. वह बताती हैं कि बीटा एसआर, सेकेंडरी मेटाबोलाइट, और राइजोम इस पौधे में उपल्ब्ध रहते हैं।
कई रोगों का रामबाण इलाज
जड़ी-बूटियों पर काम कर रहे प्रो. विजय कांत पुरोहित बताते हैं कि वच का प्रयोग माइग्रेन जैसी बीमारी में भी किया जाता है. इसकी जड़ों से बने चूर्ण का अगर दूध में डालकर सेवन किया जाए, तो यह गले के रोग के लिए भी लाभकारी है. वच बच्चों की खांसी, दमा से भी छुटकारा दिलाने में कारगर होता है. इसके लिए अन्य औषधियों के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए. यह भूख बढ़ाने में भी मदद करता है।
बढ़ती डिमांड बना दोहन का कारण
प्रो. पुरोहित बताते हैं कि आधुनिकता के बदलते दौर के साथ कई औषधीय पादप विलुप्ती की कगार पर पहुंच चुके हैं. आम लोगों को इन पौधों की जानकारी न होने व बाजार में बढ़ती डिमांड के चलते इनका दोहन तो हो रहा है. लेकिन इसे आजीविका के रूप में देखते हुए कोई इनकी काश्तकारी नहीं करना चाह रहा. अगर कोई इनकी खेती करता है, तो आर्थिक रूप से लाभ कमा सकता है क्योंकि इसके चूर्ण बनाने से लेकर अन्य दवाइयों के लिए काफी मांग रहती है।