एक बड़े अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्लड ग्रुप O वाले लोगों को कोविशील्ड (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन) लेने के बाद मस्तिष्क की नसों में थक्का (सेरेब्रल वेनस थ्रोम्बोसिस) यानी वेनस स्ट्रोक का खतरा ज़्यादा होता है।
एक बड़े अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्लड ग्रुप O वाले लोगों को कोविशील्ड (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन) लेने के बाद मस्तिष्क की नसों में थक्का (सेरेब्रल वेनस थ्रोम्बोसिस) यानी वेनस स्ट्रोक का खतरा ज़्यादा होता है।
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अध्ययन के मुताबिक, वैक्सीन लगाने के 28 दिनों के अंदर अगर किसी को सीवीटी होता है, तो उसे वैक्सीन का साइड इफेक्ट माना जाता है। वहीं इससे पहले के शोध बताते हैं कि ब्लड ग्रुप A वालों को गंभीर कोविड-19 का खतरा ज़्यादा होता है, क्योंकि आईसीयू में ज़्यादातर मरीज़ इस ग्रुप के होते हैं।
शोध से क्या सामने आया?
इस शोध में 523 सीवीटी मरीज़ों का अध्ययन किया गया, जिनमें से 82 को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के बाद सीवीटी हुआ था, जबकि बाकी 441 बिना वैक्सीन के सीवीटी से पीड़ित थे। सभी मरीज़ों का ब्लड ग्रुप जांचा गया और वैक्सीन लगाने वाले और नहीं लगाने वाले मरीज़ों में ब्लड ग्रुप के वितरण की तुलना की गई।
शोध में पाया गया कि वैक्सीन के बाद सीवीटी से पीड़ित मरीज़ों में ब्लड ग्रुप O ज़्यादा पाया गया (43%) जबकि बिना वैक्सीन के सीवीटी के मरीज़ों में यह सिर्फ 17% था।
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बिना वैक्सीन के मरीज़ों में ब्लड ग्रुप A सबसे ज़्यादा पाया गया (71%)। यह तब भी पाया गया, जब वैक्सीन के अन्य जोखिम कारकों, जैसे कि लिंग, को ध्यान में रखा गया।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
रॉयल होलोवे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन के प्रोफेसर पंकज शर्मा का कहना है, “हमारा शोध बताता है कि ब्लड ग्रुप की एक साधारण जांच से यह पता लगाना संभव हो सकता है कि किसे कोविड-19 वैक्सीन के बाद सीवीटी स्ट्रोक का खतरा ज़्यादा है।”
“ब्लड ग्रुप O वालों में वैक्सीन के बाद स्ट्रोक का खतरा ढाई गुना ज़्यादा होता है।”
“वैक्सीन के बाद स्ट्रोक का खतरा किसे ज़्यादा है, यह पहले से पता लगाने से सरकारों को इस वैक्सीन का इस्तेमाल करने का भरोसा बढ़ सकता है, खासकर कम-आय और मध्यम-आय वाले देशों में, जहां सस्ते और आसानी से ले जा सकने वाले टीके ज़्यादा कारगर साबित हो सकते हैं।”