आईवीएफ स्पेशलगर्भावस्था

क्या Endometriosis में बन सकती हैं मां? Expert से जानें कंसीव करने के चांस

एंडोमेट्रियोसिस एक गम्भीर स्थिति है जिससे दुनियाभर में करोड़ों महिलाएं पीड़ित हैं। यह तब होता है जब यूट्रस की लाइनिंग से मिलते-जुलते टिश्यूज का निर्माण यूट्रस के बाहर के हिस्से में होने लगता है। ये टिश्यूज आमतौर पर ओवरी, फैलोपिन ट्यूब्स और पेल्विक लाइनिंग में बनते हैं। इन टिश्यूज की वजह से गांठ या सिस्ट बन जाती है और फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।

एंडोमेट्रियोसिस होने के बाद महिलाओं के लिए गर्भधारण से जुड़ी समस्याएं आ सकती हैं। वहीं, कई मामलों में महिलाएं कंसीव करने में सफल रहती हैं। हालांकि, एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित अधिकांश महिलाएं हमेशा इसी चिंता में रहती हैं कि वे गर्भधारण कर पाएंगी या नहीं। डॉ. दीप्ति बावा Senior Consultant -Gynecologist, IVF Specialist, Laparoscopic & Cosmetic Surgeon, SPARSH Hospital, Bangalore ने इस बारे में विस्तार से बताया है।

एंडोमेट्रियोसिस में गर्भधारण आसान या मुश्किल

डॉ. दीप्ति के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस की गम्भीरता हर महिला में अलग हो सकती है। आमतौर पर एंडोमेट्रियोसिस को 4 कैटेगरीज में बांटा जाता है। यहां एंडोमेट्रियोसिस कितना गम्भीर है और सिस्ट कितना बड़ा है, उस आधार पर तय होता है कि एंडोमेट्रियोसिस का इलाज किस तरह से किया जाता है। जैसे माइल्ड केसेस में सिस्ट छोटा होता है और इसी वजह से कई बार सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। इसीलिए, ऐसे मामलों में कपल्स को सलाह दी जाती है कि वे नेचुरली गर्भधारण करने की कोशिश करें।

वहीं, एंडोमेट्रियोसिस की वजह से गर्भधारण नहीं कर पा रहे कपल्स के लिए यही कोशिश की जाती है कि वे गर्भधारण कर सकें और इसके साथ ही एंडोमेट्रियोसिस को दोबारा होने से रोका जा सके। प्रेगनेंसी के दौरान एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों और दर्द से काफी आराम मिल जाता है। दरअसल, प्रेगनेंसी में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण सिस्ट बनने की प्रक्रिया रुक जाती है।

क्या एंडोमेट्रियोसिस में IVF की मदद से गर्भधारण संभव है

डॉक्टर बावा कहती हैं कि जिन मामलों में नेचुरली कंसीव करपाना संभव नहीं होता वहां लोगों को आईवीए की सलाह दी जा सकती है। आईवीएफ में एग्ज को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है और उसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भ में स्थापित किया जाता है। जिन महिलाओं की ट्यूब में बहुत अधिक ब्लॉकेज होती है या जिनमें एंडोमेट्रियोसिस बहुत गम्भीर होता है उनके लिए आईवीएफ एक बहुत मददगार मेथड साबित हो सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस का मैनेजमेंट

एक्सपर्ट के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस में इंफर्टिलिटी की समस्या से बचने के लिए एंडोमेट्रियोसिस के मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कई फैक्टर्स पर भी ध्यान दिया जाता है जैसे-

  • एंडोमेट्रियोसिस का स्टेज या इस बीमारी की गम्भीरता
  • मरीज की उम्र
  • प्रजनन से जुड़े गोल्स

जहां कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है, वहीं इसके प्रभाव को भी समझना जरूरी है। विशेषकर सर्जरी कराने के बाद ओवेरियन फंक्शन में क्या बदलाव आते हैं और भविष्य में फर्टिलिटी से जुड़े क्या प्रभाव दिखायी दे सकते हैं, इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। एंडोमेट्रियोसिस में फर्टिलिटी बढ़ाने के लिएसही समय पर डायग्नोसिस और इलाज की मदद से पॉजिटिव रिजल्ट्स मिल सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button