भारत में एक बार फिर से कोरोना वायरस ने परेशानी बढ़ा दी है. कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है. कोविड के नए मामलों और एक्टिव केस की संख्या हर दिन बढ़ रही है. केस बढ़ने के साथ ही मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. भारत में कोरोना के केस बढ़ने का एक बड़ा कारण नया सब वेरिएंट JN.1 को माना जा रहा है.
बीते दिनों केरल में इस वेरिएंट का केस सामने आया था. उसके बाद से अब तक कुल 21 कोविड संक्रमितों में इस वेरिएंट की पुष्टि हो चुकी है. कोविड वायरस के बीते 3 सालों के इतिहास पर नजर डाली जाये तो हर कुछ महीनों में इसका कोई न कोई नया वेरिएंट आ जाता है.
जेएन.1 वेरिएंट आने से पहले ओमिक्रॉन के ही 10 से ज्यादा सब वेरिएंट आ चुके हैं. बीते डेढ़ साल मे डेल्टा वेरिएंट के केस न के बराबर आए थे. केवल ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट के केस आ रहे थे. ऐसा देश की अलग-अलग लैब में कोविड के सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग से यह पता चला था.
क्या कहता है स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय का डाटा बताता है कि देश में ओमिक्रॉन का एक्सबीबी वेरिएंट, एक्सबीबी.1, बीएफ 7.4.1 एक्सबीबी1.5 समेत कई अन्य वेरिएंट मिले थे. ओमिक्रॉन वेरिएंट के आने से पहले डेल्टा वेरिएंट आया था. जिसकी वजह से देश में कोरोना की दूसरी और सबसे भयानक लहर आई थी. अब सोचने वाली बात ये है कि हर कुछ समय बाद कोविड के नए वेरिएंट क्यों आते रहते हैं.
क्यों आते रहते हैं कोरोना के नये वेरिएंट
दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि किसी भी वायरस में हमेशा म्यूटेशन होता रहता है. वह जिंदा रहने के लिए अपने रूप को बदलता रहता है. म्यूटेशन की वजह से ही नए -नए वेरिएंट आते हैं और आगे भी आते रहेंगे, लेकिन अब कोविड से कोई गंभीर खतरा होने की आशंका नहीं है. समय के साथ वायरस का असर कम हो रहा है. ऐसे में पैनिक होने की जरूरत नहीं है.
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क्यों बढ़ रही मौतें
बीते कुछ दिनों से कोविड से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं. इस बारे में डॉ जुगल किशोर कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और वह अस्पताल में भर्ती हुआ है तो कोविड जांच भी होती है. अगर वह पॉजिटिव मिलता है और उसकी मौत अपनी बीमारी से भी होती है तो वह कोविड की डेथ में ही काउंट होता है, जबकि मौत का प्राथमिक कारण कोरोना नहीं उसकी बीमारी होती है. सर्दियों में बुजुर्गों को कई परेशानियां हो जाती हैं. जिसकी वजह से कुछ मामलों में हालत बिगड़ जाती है जिससे बाद में मौत होने का रिस्क रहता है.