आटिज्म एक न्यूरोलाजिकल और विकास संबंधी विकार है। यह एक प्रकार का नहीं बल्कि कई प्रकार का होता है। यह आनुवांशिक और पर्यावरणीय प्रभावों के विभिन्न संयोजनों के कारण होता है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार आटिज्म से पीड़ित बच्चे पोषण में बदलाव पसंद नहीं करते। आटिज्म की समस्या के साथ कोई भी व्यक्ति स्वाद, गंध, रंग और खाद्य पदार्थों की बनावट के प्रति संवेदनशील हो जाता है। वे कुछ खाद्य पदार्थों और यहां तक कि पूरे खाद्य समूहों को भी नापसंद कर सकते हैं।
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ऐसे में शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी हो जाती है। ऐसे में आवश्यक है कि पोषक तत्व उनके पसंदीदा भोजन में छुपाकर दिया जाए ताकि वे उस भोजन से गुरेज भी न करें और उनको पोषक तत्व भी मिल जाए। आटिज्म बच्चे आमतौर पर हाइपरएक्टिविटी के शिकार होते हैं। शक्कर का अधिक सेवन रक्त में शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है जो कि हाइपरएक्टिविटी की ओर ले जाती है। शक्कर युक्त खाद्य पदार्थों से व्यक्ति में यह समस्या और बढ़ सकती है इसलिए उनके शक्कर के सेवन को नियंत्रित करना या प्रतिबंधित करना महत्वपूर्ण है। इन बच्चों को शक्कर युक्त पेय व खाद्य पदार्थ जैसे कि साफ्ट ड्रिंक, फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक्स, मिठाई और केक आदि न देने चाहिए।
अब एक्सपर्ट से समझते हैं कि आखिर आटिज्म से पीड़ित बच्चों का डाईट चार्ट क्या होना चाहिए, क्या उनके लिए फायदेमंद है और क्या नुक्सान पहुंचाता है। इन सभी जानकारियों को साझा करने के लिए आरोग्य इंडिया प्लेटफोर्म से जुडी हैं डॉ स्मिता सिंह –
डॉ स्मिता सिंह बताती हैं कि किसी ऑटिस्टिक इंडिविजुअल की डाइट प्लान करते समय कुछ चीजों पर ध्यान देना चाहिए। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि ऑटिस्टिक की डाइट ऐसी हो जिससे उस इंडिविजुअल की गट हेल्थ इंप्रूव हो सके। इनके पास इंफ्लामेशन के चांसेज बहुत सारे होते हैं, इसलिए जितने भी इंफ्लामेटरी मार्कर्स हैं, उनको कंट्रोल कर पायें, ऐसे फूड्स को दें। ब्रेन हेल्थ के लिए जितने भी न्यूट्रिएंट्स हैं, वो इस डाइट में होने चाहिए। वहीं सबसे महत्वपूर्ण है आपकी इम्यूनिटी, इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आपको ऐसी डाइट बनाना जरूरी होता है।
अब डाईट के बारे में विस्तार से समझें
डॉ स्मिता बात करते हुए बताती हैं कि जितने भी ऑटिस्टिक इंडिविजुअल होते हैं उनमें ग्लूटेन और केसीन जरूर होना चाहिए। ग्लूटेन पाने के लिए आपको गेंहू और राई लेना चाहिए। साथ ही अनाजों में चावल, ओट्स, बाजरा और मक्का ले सकते हैं। वहीं केसीन की बात करें तो जितने भी दूध होते हैं, उन सबमें केसीन होता है। तो अगर हम बच्चों को दूध नहीं दे रहे हैं तो आपको सोया मिल्क, आल्मंड मिल्क या सोया पनीर जिसे टोसू कहा जाता है, वो दे सकते हैं। साथ में दालों का उपयोग ज्यादा करें जिससे कि प्रोटीन की जरूरत पूरी हो जाये। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि ब्रेन हेल्थ के लिए फैट बहुत महत्वपूर्ण है जिसके लिए नट्स जरूर लें, जिनमें आल्मन्ड्स और वाल्नट्स हों। अगर मछली खातें हैं तो दो या तीन पीस दें या फिर एक चम्मच अलसी का उपयोग करें, वो चाहे पाउडर फॉर्म में दें या किसी खाने वाली चीज में एड करें जिसे उनका ओमेगा 3 फैट बढ़ जाये।
मीठे से दूर रखना क्यों जरूरी?
साथ में ये चीज ध्यान देने की जरूरत है कि ऑटिस्टिक बच्चे मीठे का उपयोग जितना कम करें, उतना अच्छा होता है क्योंकि ज्यादा मीठा खाने से बच्चे हाइपर एक्टिव होंगे। शुगर इनटेक ज्यादा लेने पर इंपल्सिविटी या हाइपर एक्टिविटी बढ़ जाती है इसलिए शुगर इसे कम करें। साथ में विटामिंस और मिनरल्स का उपयोग अच्छी मात्रा में करें। विटामिन्स में विटामिन डी आपकी बोन हेल्थ और इम्युनिटी दोनो में मदद करता है। विटामिन सी के लिए संतरा या खट्टे फल और सब्जियों का उपयोग करें, खाने में कुछ नहीं डालना है तो नींबू निचोड़ दें।
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आटिस्टिक बच्चों के लिए ध्यान रखें कि एकदम से उनके आहार में बदलाव न करें। यह बदलाव धीरे-धीरे करें। यही नहीं, उन्हें विश्वास में लेकर आहार में बदलाव करें ताकि वे उसे खाने से परहेज न करें। इनके आहार में यदि यह उत्पाद शामिल नहीं तो इनसे मिलने वाले पोषक तत्वों की पूर्णता के लिए उसके विकल्पों को आहार में शामिल करें ताकि उन्हें समुचित पोषण मिल सके।