मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का कैंसर होता है, जो बोन मैरो की प्लाज़्मा कोशिकाओं (एक प्रकार की व्हाइट ब्लड कोशिकाएं) को प्रभावित करता है। हालांकि मल्टीपल मायलोमा का कोई उपचार नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में इस दिशा में काफी प्रगति हुई है। जिनके परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं और कई मरीजों की लाइफ क्वालिटी में भी सुधार देखा गया है। मल्टीपल मायलोमा के उपचार के लिए आमतौर पर रोग को कंट्रोल करने पर ध्यान दिया जाता है। इसके लक्षणों को मैनेज करते हुए मरीज का जीवन लंबा बनाने की कोशिश की जाती है।
वास्तव में मल्टीपल मायलोमा के उपचार का लक्ष्य इस बात पर निर्भर होता है कि मरीज का रोग किस स्टेज में है, उनकी हेल्थ कैसी और मरीज की अपनी प्राथमिकताएं क्या हैं। आमतौर पर ट्यूमर का असर कम करने, लक्षणों को कंट्रोल करने, जटिलताएं घटाने जैसे रोग के कारण फ्रैक्चर और इंफेक्शन जैसी जटिलताओं को कम करते हुए मरीज की लाइफ क्वालिटी में सुधार लाने का प्रयास किया जाता है।
कैसे होता है मल्टीपल मायलोमा का उपचार
प्रायः मल्टीपल मायलोमा के इलाज में कीमोथेरेपी, जिसमें दवाओं से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है, की मुख्य भूमिका होती है। कीमोथेरेपी के तहत कई तरह की दवाएं दी जाती हैं, जैसे प्रोटीसोम इनहिबिटर्स (उदाहरण के लिए, बोर्तेजोमिब, कार्फिलजोमिब), इम्युनोमॉड्यूलेट्री ड्रग्स (उदाहरण के लिए लेनालिडोमाइड, पोमालिडोमाइड), कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स (उदाहरण के लिए डेक्सामेथासोन) आदि।
मल्टीपल मायलोमा के उपचार में इम्यूनोथेरेपी भी एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आयी है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ जैसे कि डेराट्यूमुमैब और एलोटोज़्यूमैब, शरीर की मायलोमा कोशिकाओं की सतह पर खास किस्म की प्रोटीन को लक्षित कर इम्यून सिस्टम को इन कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए इनकी पहचान में मदद करती हैं।
कब होती है स्टैम सेल ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत
कुछ मल्टीपल मायलोमा मरीजों के मामले में स्टैम सैल ट्रांसप्लांटेशन, खासतौर से ऑटोलोगस स्टैम सैल ट्रांसप्लांट (जिसके लिए मरीज की अपनी स्टैम कोशिकाओं को ही लिया जाता है), की सिफारिश भी की जाती है। इसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाइ-डोज़ कीमोथेरेपी दी जाती है।
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इसके बाद स्टैम सैल इंफ्यूज़न किया जाता है ताकि बोन मैरो में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं के निर्माण की क्षमता बहाल हो सके। इस प्रकार की लक्षित थेरेपी खासतौर से मॉलीक्यूलर असामान्यताओं या कैंसर कोशिकाओं की बढ़त और उनके बचे रहने के तौर-तरीकों को नष्ट करने के इरादे से तैयार की जाती हैं। मल्टीपल मायलोमा के लिए इस्तेमाल होने वाली लक्षित थेरेपी में प्रोटीसोम इनहिबिटर्स, इम्यूनोमॉड्यूलेट्री ड्रग्स तथा हिस्टेन डीएसिटीलेज़ इनहिबिटर्स शामिल हैं।
मल्टीपल मायलोमा की वजह से प्रायः हड्डियों को नुकसान पहुंचता है जिसके कारण फ्रैक्चर और स्केलेटल (कंकाल) संबंधी अन्य रिस्क बढ़ सकते हैं। हड्डियों में इन जटिलताओं को बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें मजबूत बनाने वाले एजेंट्स जैसे कि बाइफोसफोनेट्स (उदाहरण के लिए जोलेड्रॉनिक एसिड, पैमीड्रोनेट) और डेनोसुमैब का इस्तेमाल किया जा सकता है।
निदान में रखनी होती है सावधानी
मल्टीपल मायलोमा शरीर में किस हद तक फैल रहा है और इसके उपचार आदि में क्लीनिकल परीक्षण काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन परीक्षणों में भाग लेने वाले मरीजों को समीक्षाधीन उपचारों को प्राप्त करने और रोग के उपचार लिए नई थेरेपी विकसित करने के चरण में योगदान करने का मौका मिलता है।
बेशक, मल्टीपल मायलोमा का इलाज अभी तक नहीं मिला है, लेकिन इस दिशा में जारी रिसर्च से इस रोग को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल रही है और साथ ही, मरीजों के उपचार के लिए नई उपचार विधियों को विकसित करने में भी यह मददगार है।
शीघ्र डायग्नॉसिस, उन्नत ट्रीटमेंट और सपोर्टिव केयर के उपायों ने कई मरीजों को जीवनदान दिया है और उनकी लाइफ क्वालिटी में भी सुधार किया है। मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वे उनकी खास जरूरतों तथा प्राथमिकताओं के मुताबिक उनके लिए पर्सनलाइज़्ड ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने वाली हेल्थकेयर टीम के साथ मिलकर काम करें।