किसी भी लड़ाई झगड़े या सड़क हादसे में दांत टूटना आम बात है और दांत टूटने के बात बेकार भी हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस टूटे हुए दांत को फिर से जोड़ा जा सकता हैं. जी आपने बिलकुल सही सुना और समझा. जिस टूटे हुए दांत को बेकार समझकर फेंक देते हैं उसी दांत को फिर से जोड़ा जा सकता.
इंदौर में शासकीय दंत महाविद्यालय के डॉक्टर्स की ओर से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे नकली दांत लगाने से भी छुटकारा मिलेगा. हर माह एक से दो मरीज अपने टूटे दात को लगवाने आ रहे हैं. हालांकि दांत हर महीने कई लोगों के टूटते हैं, लेकिन इतने कम मामले अस्पताल में आने का कारण यह है कि 90 फीसदी से अधिक लोगों को पता ही नहीं है कि टूटा हुआ दांत उसी जगह दोबारा वैसे का वैसा लगाया जा सकता है. लोगों ही नहीं डॉक्टर्स में भी जागरूकता की कमी है.
इस तकनीक से जोड़ा जाता है दांत
इंदौर के शासकीय दंत महाविद्यालय के प्रिवेंटिव डेंटिस्ट्री और प्रोफेसर डॉ. विशाल खंंडेलवाल बताते हैं कि स्पलिंटिंग तकनीक से किसी भी उम्र के व्यक्ति का टूटा दांत दोबारा जुड़ सकता है. जिससे भविष्य में दिक्कत भी नहीं आती. लोगों में जागरूकता की कमी है, इसलिए वह दांत से जुड़ी समस्या के बारे में जानते नहीं हैं. परमानेंट दांत पर ही काम किया जा रहा रहा.
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सड़क हादसे, झगड़े या स्पोर्ट्स के दौरान किसी भी तरह से दांत टूटते हैं तो उन्हें फिर से जोड़ सकते हैं. कई बार चोट के दौरान मसूड़े में दात दब जाता है उनको भी रिपेयर किया जा सकता है. हाल ही में कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जिनमे लोग 24 घंटे के बाद लोग दांत लाए हैं, उनको भी ठीक किया गया लेकिन इस मामले 30-35 फीसद ठीक होने के चांस हैं मगर 1 से 2 घंटे के भीतर लाने पर 100 फीसदी चांस हैं.
क्या है स्पलिंटिंग तकनीक
स्पिलिटिंग तकनीक में जैसे ही दांत टूटे, उसे तुरंत दूध में डालकर अस्पताल ले आएं. यदि दूध उपलब्ध न हो तो दांत को मुंह में रखकर लाया जा सकता है. दांत जहां से निकला हो, वहां खून जमा होता है. स्पलिंटिंग तकनीक में उस खून को साफ कर वहां तार से दांत को अस्थायी तौर पर जोड़ा जाता है. एक महीने बाद दांत पूरी तरह जुड़ जाता है और तार को निकाल दिया जाता है. इस स्पलिंटिंग तकनीक में दो से तीन बार डॉक्टर से उपचार करवाना पड़ता है. इसका खर्च सरकारी अस्पताल में निशुल्क आता है. इस तकनीक से हर उम्र के लोगों के दांत जोड़े जा रहे हैं.