अब तक कई अध्ययन और शोध से यह साबित हो चुका है कि कोविड मेंटल और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित करता है। पिछले दिनों एक स्टडी से यह बात भी सामने आई है कि कोविड सेक्सुअल हेल्थ को भी प्रभावित करता है। लंबे समय तक रहा कोविड पुरुषों में सेक्स के प्रति दिलचस्पी तो कम करता ही है। महिलाओं के सेक्सुअल हेल्थ को भी यह प्रभावित कर जाता है। यह स्टडी अमेरिका के बोस्टन यूनिवर्सिटी में की गई। इस बारे में भारत के विशेषज्ञ क्या कहते हैं, यह भी जानना जरूरी है।
सेक्सुअल हेल्थ पर स्टडी
अमेरिका के बोस्टन यूनिवर्सिटी में 2,000 से अधिक महिलाओं के सेक्सुअल हेल्थ पर एक अध्ययन किया गया। अध्ययन में पाया गया कि कोरोनोवायरस रोग सेक्सुअल एक्टिविटी को ख़राब कर सकता है। लंबे समय तक प्रभावित करने वाला कोविड विशेष रूप से हानिकारक प्रभाव डालता है।
सेक्सुअल डिजायर में हो सकती है कमी
बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना वायरस के कारण सेक्स में दिलचस्पी कम हो जाती है। हो सकता है कि शरीर सेक्स करने के लिए कम तैयार हो पाए। लंबे समय तक रहने वाला कोरोना वायरस के लक्षण वास्तव में महिलाओं के सेक्सुअल वेलनेस पर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकते हैं।
महिलाओं में यौन स्वास्थ्य पर लंबे समय तक कोविड के प्रभाव को उजागर करने वाला पहला अध्ययन है। इसके निष्कर्ष जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन में भी प्रकाशित हुए।
लंबा कोविड और यौन इच्छा
इंटिमेसी पर कोविड (COVID-19) के प्रभाव का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक ऑनलाइन सर्वेक्षण किया। भाग लेने वाली लगभग आधी महिलाओं ने बताया कि उन्हें कोविड हुआ था और उनका परीक्षण सकारात्मक था। इस स्टडी में ऐसे उपकरण का भी इस्तेमाल किया गया, जो उत्तेजना और संतुष्टि जैसे कारकों को मापता है। इसकी मदद से पिछले 4 हफ्तों में कितनी बार यौन इच्छा महसूस करने की जांच की गई।
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लो लीबिडो
जिन महिलाओं को कोविड हुआ था, उनमें इच्छा, उत्तेजना और संतुष्टि का स्तर उन लोगों की तुलना में कम था जिन्हें नहीं कोविड नहीं था। शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक कोविड से पीड़ित महिलाओं में संज्ञानात्मक और शारीरिक लक्षणों के साथ प्रारंभिक संक्रमण के बाद हफ्तों, कभी-कभी महीनों तक बनी एक ख़ास स्थिति बनी रहती है। इस स्थिति में उत्तेजना, लुब्रिकेशन, सेक्सुअल डिजायर के स्कोर काफी खराब थे।
हॉर्मोन पर कितना प्रभाव
एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन दोनों ओवरी से निर्मित होते हैं। पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज के दौरान इन दोनों हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है। लॉन्ग कोविड से पीड़ित 1294 महिलाओं के ऑनलाइन सर्वेक्षण में पाया गया कि 73% महिलाओं में कोविड 19 के लक्षण दिखने के बाद से उनके मासिक धर्म में बदलाव आया। यह भी संभव हो सकता है कि लंबे समय तक रहने वाला कोविड पेरीमेनोपॉज़ और मेनोपॉज के लक्षणों को खराब कर देता है। क्योंकि एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का लेवल लो हो सकता है।
ठीक होने में समय लग सकता है
शोधकर्ता स्टैंटन और उनके सहयोगियों के अनुसार, कोविड-19 संक्रमण यौन क्रिया के संज्ञानात्मक और शारीरिक दोनों पहलुओं की हानि से जुड़ा हो सकता है। जिस तरह काम, अध्ययन और व्यायाम की बात आती है, तो शरीर और दिमाग को सभी सिलेंडरों पर वापस आने में कुछ समय लग सकता है। वही बात सेक्स पर भी लागू हो सकती है। महामारी के कारण होने वाले व्यापक सामाजिक परिवर्तन एक कारक हो सकते हैं।
यह भी ध्यान दें
कोविड संक्रमण महिलाओं के यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, लेकिन टीकाकरण से फर्टिलिटी प्रभावित नहीं होती है। वैक्सीनेशन से गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती है या मासिक धर्म पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।