मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ के अंतर्गत आज बात करते हैं ऑटिज़म की। Autism Spectrum Disorder को बीमारी कहना गलत है। यह एक अलग मानसिक अवस्था है। ऐसे बच्चों या लोगों का दिमाग सामान्य लोगों से कुछ अलग तरीके से काम करता है। चूंकि इसकी रेंज बहुत विस्तृत है, इसलिए इसे स्पेक्ट्रम कहा गया है। हकीकत यह है कि कई लोग इस अवस्था में सफल ज़िंदगी जीते हैं। ऐसे लोगों को ऑटिस्टिक भी कहते हैं।
ऐसे लोगों की कुछ खूबियां होती हैं तो कुछ बड़ी कमियां भी। ये कमियां ही समस्या की जड़ होती हैं। जब इन समस्याओं की वजह से परिवार या समाज में इनका रहना मुश्किल हो जाता है, तब इस पर काम करने की ज़रूरत होती है। अगर लक्षण बचपन में ही पता चल जाएं तो ऐसे बच्चों को जरूरी स्किल सिखाना आसान हो जाता है। इसके बाद ये परिवार और समाज से आसानी से कदमताल कर पाते हैं।
आपको बता दें, यह एक आनुवंशिक विकार है जिसने हजारों लोगों को प्रभावित किया है। यह एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि इससे व्यक्ति के विकास में बाधा आती है। आमतौर पर हम ऑटिज्म के बारे में जो जानते हैं, वो ये है कि यह बच्चों में होता है, लेकिन तथ्य ये है कि वयस्क भी इसके व्यापक संचार और व्यवहार संबंधी समस्याओं के कारण प्रभावित होते हैं। भले ही ऑटिज्म मूल रूप से बच्चों और वयस्कों में एक जैसा ही रहता है, लेकिन लक्षणों में थोड़ा अंतर होता है। इसके अलावा, अगर वहां हम आत्म केंद्रित में देरी करते हैं, तो कारण कुछ मामलों में भिन्न भी हो सकते हैं। आज इसी पर बात करने के लिए आरोग्य इंडिया प्लेटफोर्म से जुड़े हैं लखनऊ स्थित बलरामपुर चिकित्सालय मनोरोग विभाग के परामर्शदाता दो सौरभ अहलावत। उन्हीं से इस डिसऑर्डर के बारे में जानते हैं कि आखिर आटिज्म क्या है, बच्चों में इसके क्या Alarming Symptoms होते हैं और इसका इलाज कैसे संभव है?
आटिज्म एक डेवलपमेंट डिसऑर्डर है। बच्चा जब पेट में होता है तो उसके डेवलपमेंट में कुछ समस्या हो जाती है। इसे पहचानने का पहला तरीका होता है कि डिलीट डेवलपमेंट माइंड स्टोन। इसे हिंदी में कहा जाता है कि बच्चा समय से नहीं चलता है, खाना नहीं खा पाता है, मुंह से बोली सही से नहीं निकलती है। आमतौर पर बच्चे एक साल से सवा साल में चलने लग जाते हैं लेकिन ऑटिज्म वाले बच्चों को चलने में 4 साल लग जाता है। ऐसे बच्चों में चिड़चिड़ापन, किसी से ज्यादा बात नहीं करना, मां से ज्यादातर चिपके रहना, दूसरों की गोदी में नहीं जाना और रात में ठीक से न सोना ऑटिज्म के शुरुआती लक्षण होते हैं।
आटिज्म के कौन-से Alarming Signs को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?
सबसे पहला अलार्म तो यही है कि बच्चों का पढ़ाई में रुचि न होना। बच्चा पढ़ना नहीं चाहता तो इसका मतलब यही है कि बच्चे का ब्रेन डेवलप नहीं हुआ है। दूसरा अलार्मिंग साइन कि बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा है जैसे वो घर से बाहर ही नहीं निकलता है। तो इन बातों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।