दुनिया की पहली दांत उगाने वाली दवा का ह्यूमन ट्रायल कुछ ही महीनों में शुरू हो जाएगा। फिलहाल जानवरों पर इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। सफलतापूर्वक दवा का परीक्षण होने के बाद 2030 तक व्यावसायिक रूप से इसे मार्केट में उपलब्ध कराया जा सकता है।
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क्योटो यूनिवर्सिटी अस्पताल में यह परीक्षण सितंबर से अगस्त 2025 के बीच तक होगा, जिसमें 30-64 वर्ष की आयु के 30 पुरुषों को शामिल किया गया है। यह परीक्षण उन लोगों पर किया जा रहा है, जिसकी कम से कम एक दाढ़ गायब है। नसों में उपचार का परीक्षण ह्यूमन ट्रायल की प्रभावकारिता के लिए किया जाएगा, क्योंकि इस दवा द्वारा फेरेट और माउस मॉडल में बिना किसी महत्वपूर्ण दुष्प्रभाव के नए दांत सफलतापूर्वक उगाए गये हैं।
ह्यूमन ट्रायल के बाद इन बच्चों पर होगा परीक्षण
11 महीने के इस पहले चरण के बाद शोधकर्ता 2-7 वर्ष की आयु के उन रोगियों पर दवा का परीक्षण करेंगे, जिनके दांत जन्मजात नहीं हैं या फिर किसी कारण से दांतों की कमी है। शोधकर्ता अब इस परीक्षण को आंशिक रूप से जिनके दांत नहीं हैं या फिर पर्यावरणीय कारकों के कारण एक से पांच स्थाई रूप से नहीं हैं, उन लोगों तक विस्तारित करने पर विचार कर रहे हैं।
बता दें कि ऐसे कई लोग हैं, जिनके अलग-अलग कारणों से दांत नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए यह दवा काफी प्रभावकारी हो सकती है। यह उन लोगों के चेहरे पर हंसी लौटा सकती है, जो बिना दांतों की वजह से खाने-पीने से लेकर बोलने तक की परेशानी से जूझ रहे हैं।
जानें कैसे काम करेगी दवा
यह दवा गर्भाशय संवेदीकरण-संबंधित जीन-1 (USAG-1) प्रोटीन को निष्क्रिय कर देती है, जो दांतों के विकास को दबा देता है। पिछले रिसर्च में बताया गया था कि अन्य प्रोटीनों के साथ USAG-1 की इंटरैक्शन को अवरुद्ध करने से बोन मॉर्फोजेनेटिक प्रोटीन (BMP) सिग्नलिंग को बढ़ावा मिलता है, जो नई हड्डी के निर्माण को ट्रिगर करता है। बता दें कि इस दवा का परीक्षण चूहों और फेरेट्स पर किया जा चुका है, जिसमें सफलतापूर्वक रिजल्ट प्राप्त हुए।