हसील मुयालय से 36 किमी दूर नेशनल हाइवे पर बसे तारलागुड़ा-कोत्तूर गांव में बुखार और हाथ-पैर में दर्द की समस्या के बाद दो ग्रामीणों की मौत हो गई। बीते एक सप्ताह में इनकी जान गई है लेकिन अब तक बीमारी का पता नहीं चल पाया है कि आखिर ग्रामीणों की मौत किस वजह से हुई।
दोनों गांव में ज्यादातर लोग इस तरह की समस्या से बीमार हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां आकर लोगों की जांच की और फिर वापस लौट गई। लेकिन अब तक बीमारी का पता नहीं चल पाया है। बताया जा रहा है कि बुखार और हाथ-पैर दर्द से तड़पते मरीज खाट से नहीं उठ पा रहे हैं। यह तकलीफ लगातार बढ़ती जा रही है। ग्रामीणों की मौत के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि एक के बाद एक ग्रामीण में बीमारी फैलती जा रही है। पहले हाथ-पैर दर्द होते हैं उसके बाद तेजी से बुखार जकड़ रहा है। वे इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जा रहे हैं, लेकिन कोई खास उपचार नहीं मिल पा रहा है। पिछले पंद्रह दिनों से यह शिकायत बढ़ी है। धीरे-धीरे पूरा गांव इसकी चपेट में आता जा रहा है। इस अज्ञात बीमारी के चलते गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है। वही ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल में स्टाफ भी मरीजों को सहयोग नहीं कर रहा है। स्टाफ का मरीजों के प्रति रवैया भी ठीक नहीं है।
दो दिन में 20 साल की रजनी की मौत
गांव में फैली इस अज्ञात बीमारी से 20 वर्ष की छात्रा रजनी यालम की मौत हो गई। उसके परिजनों ने बताया कि उसे दो दिन पहले बुखार आया। पहले उसका इलाज तारलागुड़ा के उपस्वास्थ्य केंद्र में चला। उसके बाद भोपालपटनम लाया गया। यहां से बीजापुर भेजा गया, फिर हालत बिगड़ी तो तेलंगाना के वारंगल ले जाया गया, लेकिन वहां भी रजनी की जान बच नहीं पाई। इसी तरह गांव के मुत्तेराव देवर चार दिन से बुखार व हाथ पैर के दर्द से जूझ रहे थे। इसके बाद उनकी भी मौत हो गई।
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डेंगू और टाइफाइड के मरीज मिले
कोत्तूर गांव में आरिगेल सतीश डेंगू को पॉजिटिव पाया गया है, उसका इलाज तेलंगाना के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। वहीं इस गांव में कुरसम अमर, विश्वजीत यालम, टाइफाइड पॉजिटिव आए हैं, इनका इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है।