देश के अलग-अलग हिस्सों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण से आईवीएफ चक्र प्रभावित हो रहे हैं। एक प्रजनन विशेषज्ञ ने दावा किया है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के जरिए गर्भवती होने की कोशिश करने वाली महिलाएं राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे वायु प्रदूषण के स्तर से प्रभावित हो रही हैं।
अभी तक आपने सुना होगा कि वायु प्रदूषण से महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। फिर जिस तेजी से वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर बना हुआ है, प्रजनन क्षमता में वाकई में गिरावट देखी जा रही है।
देश की राजधानी दिल्ली में आईवीएफ सत्र तेजी से रद्द हो रहे हैं क्योंकि वायु गुणवत्ता महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि महिलाओं में अस्थमा, फेफड़ों की समस्या, लाल आंखें, गले में खुजली जैसे मामले बढ़ रहे हैं, ऐसी स्थिति आईवीएफ संभव नहीं है।
आईवीएफ चक्र को इस तरह समझें
आईवीएफ में अंडाशय को अंडे का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित किया जाता है, अंडों को एकत्र किया जाता है और शुक्राणु के साथ भ्रूण बनाया जाता है और एक या दो को ताजा भ्रूण के रूप में गर्भ में स्थापित किया जाता है। कई बार भ्रूण को फ्रीज भी किया जाता है और बाद में उपयोग किया जाता है। अधिकांश महिलाओं के लिए आईवीएफ के एक चक्र में चार से छह सप्ताह का समय लग सकता है। एक बार में सफलता नहीं मिलती तो फिर प्रयास किया जाता है।
महिलाओं को हो रहीं ये समस्याएं
चिकित्सकों ने बताया कि प्रतिदिन आईवीएफ का एक सत्र रद्द हो रहा है, क्योंकि महिलाओं में वायु प्रदूषण से उत्पन्न खांसी, गले में खराश, आंखों में लालिमा जैसी शिकायतें देखने को मिल रही है। एक चिकित्सक को गुरुवार को ओपीडी में आईवीएफ चक्र रद्द करने पड़े। अब इन महिलाओं को दूसरे चक्र से गुजरने के लिए एक महीने का इंतजार करना होगा।