चाहे ऑफिस हो, घर हो या मेट्रो लोगों को अक्सर स्मैली फार्ट का सामना करना पड़ता है। दरअसल, अनियमित लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान रोजमर्रा के जीवन में इस समस्या को बढ़ा देता है। जहां कुछ फार्ट बदबूदार होते हैं, तो कुछ गंधहीन भी होते हैं। इस बायोलॉजिकल प्रोसेस को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले समस्या के कारणों को जानना आवश्यक है। तो चलिए जानते हैं कि किन कारणों से बढ़ने लगती है स्मैली फार्ट की समस्या और इससे कैसे बचना है।
स्मैली फार्ट किसे कहते हैं
पेट का फूलना यानि फ्लेटुलंस जिसे पासिंग विंड, पासिंग गैस या फार्टिंग कहा जाता है। दरअसल, इस बायोलॉजिकल प्रक्रिया में डाइजेशन में गैसिस रिलीज़ होती है, जो स्मैली फार्टिंग का कारण साबित होती हैं। कई बार फार्ट बहुत स्मैली होते हैं, तो कभी साइलेंट और गंधहीन भी हो सकते हैं। बदबूदार फार्ट आहार से बढ़ने लगते हैं। हांलाकि स्मैली फार्टिंग अंतर्निहित संक्रमण, पाचन संबंधी समस्याओं या एक विकार का संकेत हो सकता है।
फार्ट इतने ज्यादा बदबूदार क्यों होते हैं
इस बारे में मणिपाल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी कंसल्टेंट, डॉ हंसा शाही बताती हैं कि ब्लोटिंग और गैस कई कारणों से बढ़ने लगती है। डॉ शाही के अनुसार गैस्ट्रिक समस्याओं के कारण एसिडिटी और इरिटेशन बढ़ जाती है। इससे पाचनतंत्र अस्त व्यस्त हो जाता है। एसिड के पेट में पहुंचने से अपच, कब्ज, दर्द सूजन और फार्टिंग का सामना करना पड़ता है। ये समस्या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर का कारण बनने लगती है।
स्मैली फार्ट के कॉमन कारण
हाई सल्फर फूड्स
गलत खानपान स्मैली फार्ट का मुख्य कारण साबित होता है। ब्रोकली, बीन्स और अंडों समेत कई खाद्य पदार्थों को खाने से शरीर में सल्फर कंटेनिंग गैसिज़ प्रोड्यूस होती हैं। इससे बदबूदार गैस या गंध का सामना करना पड़ता है।
फ्रुक्टोज या लेक्टोज़ इंटॉलरेंस
एनआईएच के अनुसार कुछ लोग फ्रुक्टोज और लैक्टोज जैसी शुगर्स को डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं। फ्रुक्टोज शुगर फलों और शहद में पाई जाती है। वहीं लैक्टोज पनीर, आइसक्रीम दूध और दही में पाई जाने वाली शुगर होती है। अगर किसी व्यक्ति को फ्रुक्टोज या लैक्टोज इनटॉलरेंस की समस्या है, तो ऐसे में शुगर छोटी आंत से इनएब्जार्ब गुजरती हैं। वहीं शुगर्स लार्ज इंटैस्टाइन में जाकर टूट जाती हैं और स्मैली फार्टिंग का कारण बनती हैं।
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शरीर में पानी की कमी
समय पर शरीर से विषैले पदार्थों की निकासी और नियमित डाइजेशन न होने के चलते भोजन आंतों में फर्मेंटेड होने लगता है। इससे गैस रिलीज़ करने के दौरान दुर्गंध का सामना करना पड़ता है। दरअसल, गर्मी के मौसम में निर्जलीकरण की समस्या स्मैली फार्टिंग का कारण बनने लगती है।
गट बैक्टीरिया की ओवरग्रोथ
शरीर में जब फूड डाइजेस्ट होता है तो उस शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है, जो ब्लड में घुल जाते हैं। वहीं वेस्ट फूड को कोलन में स्टोर किया जाता है। इसमें कई बार बैक्टीरिया की ओवरग्रोथ होने लगती है। उन्हीं में से कुछ बैक्टीरिया इंटेस्टाइंस और पाचन तंत्र में संक्रमण का कारण बनने लगते हैं। पाचन तंत्र में संक्रमण के चलते लोगों को स्मैली फार्ट, पेट दर्द और दस्त का सामना करना पड़ता है।
स्मैली फार्ट से बचने के लिए करें ये काम
नींबू और अदरक
एक कप पानी में 1 इंच अदरक के टुकड़ों को डालकर उबालें और उसे छानकर अलग कर लें। अब जिंजद वॉटर में आधा चम्मच नींबू का रस और आधा चम्मच शहद मिलाकर पीने से स्मैली फार्ट की समस्या से राहत मिल जाती है।
खाना धीमी गति से खाएं
वे लोग जो जल्दबाज़ी में खाना खाते हैं, उन्हें वेटगेन से लेकर स्मैली फार्ट का सामना करना पड़ता है। दरअसल, छोटी मील्स लें और उन्हें धीमी गति से खाएं जिससे हेल्दी डाइजेशन में मदद मिलती है और गैस प्रोडक्शन को भी कम किया जा सकता है।
प्रोबायोटिक को आहार में करें सम्मिलित
हेल्दी गट बैक्टीरिया के लिए एसिडिक बैवरेजिज़ के स्थान पर दही, छाछ और डिटॉक्स वॉटर पिएं। इससे शरीर के विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है और हेल्दी बैक्टीरिया को रिस्टोर करके डाइजेशन को इंप्रूव किया जा सकता है।
एक्सरसाइज़ है ज़रूरी
नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करने से पेट में जमा होने वाली गैसिस की समस्या हल हो जाती है। व्यायाम से ब्लोटिंग, कब्ज और अपच से राहत मिलती है और डाइजेशन बूस्ट होता है। साथ ही कोलन में बैड बैक्टीरिया से बनने वाली गैस दूर हो जाती है।