Syphilis Virus: कोरोना महामारी के बाद से लोगों में हर दिन नई बीमारियों का पता चल रहा है। यहां तक कि अब नवजात बच्चे भी किसी न किसी गंभीर बीमारी का शिकार बन जाते हैं। इसी बीच खबर आ रही है कि जापान के बड़े शहरों में सिफलिस वायरस (Syphilis Virus) तेजी से फैल रहा है। कहा जा रहा है कि राजधानी टोक्यो में अब तक इस बीमारी के 2500 से अधिक मामले सामने चुके हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यौन संपर्क से फैलने वाली इस बीमारी के लगभग 70 फीसदी शिकार पुरुष हैं। सिफलिस वायरस 20 से 50 साल के पुरुषों के साथ साथ 20 से 30 साल की औरतों को ज्यादा संक्रमित कर रहा है। इसके शिकार बच्चे खासकर नवजात शिशु भी हो रहे हैं। हालांकि, अभी भारत में इसका कोई भी मामला सामने नहीं आया है। ऐसे में हम आपको इस वायरस के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

क्या है सिफलिस वायरस? (What is Syphilis Virus)
सिफलिस ट्रेपोनेमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला एक वायरस है, जो अक्सर यौन संपर्क के माध्यम से एक से दूसरे इंसान में फैलता है। इस वायरस के फैलाव में कई चरण होते हैं। प्राइमरी सिफलिस में संक्रमित व्यक्ति के शरीर के निजी अंग, मुंह, जीभ या बगल में घाव या दाना होता है, जिसमें दर्द नहीं होता है।
आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। इसके बाद के चरण में त्वचा पर रैशेज दिखते हैं, लिम्फ नोड्स में सूजन आती है, बुखार के साथ कमजोरी आती है। इसके साथ साथ व्यक्ति के बाल गिरने शुरू हो जाते हैं। गंभीर मामलों में इसका दिल, दिमाग और रक्त कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है। सिफलिस अपने किसी भी स्टेज में नर्वस सिस्टम के साथ-साथ आंखों और कान को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
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सिफलिस वायरस के लक्षण (Symptoms of Syphilis Virus)
बुखार, त्वचा पर रैशेज, वजन घटना, बाल गिरना, गले में खराश, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिर में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन आदि।
अगर कोई गर्भवती महिला सिफलिस से संक्रमित है तो उसके होने वाले बच्चे को भी ये वायरस अपना शिकार बना लेता है।
बच्चे का समय से पहले जन्म, जन्म लेते समय मौत या जन्म के समय वजन कम होने की संभावनाएं पैदा होती हैं।

बच्चों में दिखने वाले लक्षण (Syphilis Virus Symptoms in Children)
बच्चों के शरीर पर लाल चकत्ते देखे जाते हैं।
कुछ समय बाद संक्रमित बच्चों के सुनने की क्षमता कम होने लगती है और आंखों में सूजन आने लगती है।
डॉक्टर कहते हैं कि सिफलिस लंबे समय में विकसित होने वाला वायरस है, जो अपने आखिरी चरण में घातक साबित होता है।
अगर समय रहते इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान कर इलाज करवाया जाए तो व्यक्ति ठीक हो सकता है।