शरीर में सभी अंगों का अपना एक अहम रोल होता है। यदि किसी भी अंग के कार्य में बाधा आती है, तो इससे सभी अंगों के कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है। भले ही, शरीर के कुछ अंगों के बिना भी व्यक्ति को कोई ज्यादा पेरशानियों का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन फिर भी हर अंग अपने-अपने कार्य के लिए जिम्मेदार होता है। ठीक इसी तरह से हमारे शरीर में पैंक्रिया (अग्नाशय) भी एक महत्वपूर्ण अंग होता है। इसके द्वारा बनाए एंजाइम शुगर, फैट और स्टार्ट को तोड़ने का कार्य करते हैं। पैंक्रिया हार्मोन बनाकर पाचन तंत्र को भोजन पचाने में मदद करता है। साथ ही, यह व्यक्ति के शरीर में मौजूद ब्लड के जरिये कैमिकल मैसेंजर की तरह कार्य करता है। इसके अलावा पैंक्रियाज के हार्मोन शरीर के ब्लड शगुर को कंट्रोल करने और आपकी भूख को नियंत्रित करने में भी सहायक होते हैं। लेकिन, कई बार पैंक्रियाज में कोशिकाओं का बदलाव होता है, जिसकी वजह से इसमें कैंसर जैसा गंभीर रोग उत्पन्न होने लगता है।
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मेडिकवर अस्पताल नवी मुंबई के कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर डोनाल्ड जोन बाबू और मणिपाल अस्पताल, साल्ट लेक कोलकाता के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर सूजोय मैत्रा ने बताया है कि पैंक्रियाटिक कैंसर (अग्नाशय कैंसर) शरीर में कैसे फैलता है और इसके कारण व लक्षण क्या हो सकते हैं।
पैंक्रियाटिक कैंसर शरीर में कैसे शुरु होता है?
पैंक्रिया पेट और रीढ़ की हड्डी के बीच में मौजूद एक ग्लैंड है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाले हार्मोन्स को बनाता है। साथ ही पाचन क्रिया के लिए सहायक एंजाइम्स का निर्माण करता है। डॉक्टरों और अमेरिका कैंसर सोसाइटी के अनुसार पैंक्रिया में मौजूद कोशिकाओं में हुए बदलाव और उनके अनियंत्रित होने की वजह से पैंक्रिया में ट्यूमर बन जाता है। यही ट्यूमर आगे चलकर कैंसर का रूप धारण कर लेता है। पैंक्रियाज के अधिकतर कैंसर पैंक्रिया के डक्ट (अंदर की नलिकाओं) में शुरू होते हैं। पैंक्रियाज डक्ट और पित्त नली को जोड़ती है। इसके लक्षण महसूस होने के बावजूद पैंक्रिया के ट्यूमर के शुरुआती लक्षण इमेजिंग टेस्ट में दिखाई नहीं देते हैं। इस वजह से कई लोगों को इसके शुरुआती दौर में इलाज नहीं मिल पाता है।
पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण
अनुवांशिक कारण
कुछ लोगों के परिवार में यदि पहले किसी को यह समस्या हुई है तो ऐसे में अन्य को भी पैंक्रियाटिक कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
धूम्रपान करने की आदत
अग्न्याशय के कैंसर के लिए धूम्रपान एक बड़ा जोखिम कारक हो सकता है। तम्बाकू में मौजूद हानिकारक तत्व अग्न्याशय की कोशिकाओं में डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर होने का जोखिम अधिक हो जाता है।
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आयु
पैंक्रियाज का कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को होने की अधिक संभावना होती है। ठीक इसी तरह से 60 से अधिक उम्र के बुजुर्गों को इस तरह कैंसर का जोखिम अधिक होता है।
सूजन आना
पैंक्रियाज में लंबे समय से सूजन कैंसर के जोखिम को बढ़ देती है। यह सूजन अधिक शराब पीने की वजह से भी हो सकती है।
पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण
- पीलिया
- पेट में दर्द (खासकर ऊपरी हिस्से में)
- बिना किसी कारण के वजन तेजी से कम होना
- पाचन संबंधी समस्याएं होना, आदि।
क्या इस कैंसर से बचा जा सकता है?
दुर्भाग्य से, अधिकांश अग्नाशय कैंसर को रोका नहीं जा सकता है , लेकिन आप स्वस्थ वजन बनाए रखकर, धूम्रपान बंद करके और शराब का सेवन सीमित करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं। अन्य जोखिम कारकों में पुरानी अग्नाशयशोथ और पारिवारिक इतिहास शामिल हैं। पैंक्रियाज कैंसर (अग्नाशय कैंसर) आनुवंशिक व अन्य कई कारणों से हो सकता है। अगर, किसी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसे नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से समय रहते जांच कराने से कैंसर का इलाज समय रहते शुरू किया जा सकता है। साथ ही, इससे जुड़ी अन्य गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।