रूमेटाइड आर्थराइटिस (सूजन से जोड़ों का दर्द) का खतरा पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाओं में होता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि 45 साल से पहले रजोनिवृत्ति, हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) लेना और 4 या ज्यादा बच्चों का होना इस रोग के खतरे को बढ़ा देता है।
महिलाओं पर ज्यादा असर
अध्ययन के मुताबिक, 50 साल से कम उम्र में रूमेटाइड आर्थराइटिस होने का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में 4-5 गुना ज्यादा होता है। 60 से 70 साल की उम्र के बीच यह खतरा दोगुना हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि इस रोग का महिलाओं के शरीर पर पुरुषों की तुलना में ज्यादा शारीरिक प्रभाव पड़ता है।
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चीन की अनहुई मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2 लाख 23 हजार से ज्यादा महिलाओं पर 12 साल का लंबा अध्ययन किया। इस दौरान 3313 (1.5%) महिलाओं में रूमेटाइड आर्थराइटिस पाया गया। अध्ययन में पता चला कि जीवनशैली, सामाजिक और आर्थिक स्थिति, जातीयता और वजन (बीएमआई) जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए भी कुछ हॉर्मोनल और प्रजनन कारकों का रोग के खतरे से सीधा संबंध है।
इन वजहों से बढ़ता है खतरा
- 14 साल की उम्र के बाद माहवारी शुरू होना (13 साल की तुलना में 17% ज्यादा खतरा)।
- 45 साल से पहले रजोनिवृत्ति (50-51 साल की तुलना में 46% ज्यादा खतरा)।
- 33 साल से कम का प्रजनन काल (माहवारी शुरू होने से रजोनिवृत्ति तक का समय)।
- 4 या ज्यादा बच्चों का होना (2 बच्चों की तुलना में 18% ज्यादा खतरा)।
- गर्भाशय निकालना (40% ज्यादा खतरा)।
- एक या दोनों अंडाशयों को निकालना (21% ज्यादा खतरा)।
- एचआरटी लेना (46% ज्यादा खतरा)।
क्या है निष्कर्ष?
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनके आधार पर महिलाओं में रूमेटाइड आर्थराइटिस के खतरे को कम करने के लिए नए उपाय विकसित किए जा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस रोग से पीड़ित महिलाओं में हॉर्मोनल और प्रजनन कारकों का सावधानी से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
यह अध्ययन केवल अवलोकन पर आधारित है, इसलिए परिणामों को अंतिम सत्य मानना सही नहीं है। इसमें अधिक शोध की जरूरत है ताकि इन निष्कर्षों की पुष्टि की जा सके।