भोपाल और उसके आसपास का इलाका सोयाबीन का गढ़ है। सालों-साल से यहां के लोग सोयाबीन और मूंगफली के तेल को कुकिंग ऑयल के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में हेल्थ कॉन्शेस होने की वजह से राजधानी में ऑलिव ऑयल, एवोकॉडो ऑयल, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल और कोकोनट ऑयल की डिमांड बढ़ी है। परंपरागत रूप से घरों में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी और सरसों के तेल के प्रति आधुनिक गृहणियों का रुझान कम हुआ है। स्थिति यह है कि अब एक ही रसोई में आधा दर्जन कुकिंग ऑयल का स्टोर रहता है।
पॉम ऑयल है कुकिंग के लिए खराब
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के Heart Disease Expert डॉ. किसलय श्रीवास्तव का कहना है कि ज्यादा तेल का इस्तेमाल सेहत के लिए नुकसानदेह है इसलिए लोग कुकिंग ऑयल के प्रति ज्यादा सतर्क हुए हैं। वैसे हर कुकिंग आयॅल में कुछ न कुछ विशिष्ट पोषक तत्व होते हैं। इसलिए सभी के लिए एक खास कुकिंग ऑयल की सिफारिश नहीं की जा सकती। सबसे खराब पॉम ऑयल है इसके इस्तेमाल से जितना संभव हो बचना चाहिए।
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अवेयरनेस के चलते कुकिंग ऑयल में आया बदलाव
भोपाल की डाइटीशियन कहती हैं कि सेहत के प्रति बढ़ती जागरुकता से रसोई के कुकिंग ऑयल में बदलाव आया है। लोग सेहत के हिसाब से खान-पान पर ध्यान दे रहे हैं। उन ऑयल का चयन कर रहे जो उन्हें चिकित्सक यूज करने के लिए कहते हैं। इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। अब तो नॉन स्टिक बर्तनों में दो-चार बूंद ऑयल में खाना पकाने का प्रचलन बढ़ रहा है। यह प्रवृति सेहत के लिए ठीक है। – नेहा शर्मा, डाइटीशियन
अलग-अलग ऑयल के अलग फायदे
- जैतून का तेल – वजन कम करने के लिए लाभप्रद है और कैलोरीज कम करता है।
- कैनोला तेल – कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, सूजन को कम करने में मददगार है।
- मूंगफली – हृदय के लिए लाभप्रद और हृदय की सेहत को ठीक रखता है।
- सोयाबीन तेल – त्वचा की कोमलता को बढ़ाता है।
- सरसों का तेल – सर्दी और जुकाम के लक्षणों को तेजी से कम करता है।