वो एक जमाना था जब बच्चे पार्क में जाकर अपने दोस्तों के साथ तरह-तरह के खेल खेला करते थे. भागदौड़ करते थे, जिससे वे ना सिर्फ शारीरिक रूप से एक्टिव रहते थे, बल्कि उनका फिजिकल ग्रोथ भी सही तरीके से होता था।
बच्चे स्ट्रॉन्ग और फिट महसूस करते थे, पर अब ऐसा नहीं है. आजकल के बच्चे शारीरिक रूप से कम एक्टिव रहते हैं. घर में रहकर मोबाइल, टैब पर ही गेम्स खेलना पसंद करने लगे हैं, लेकिन ऐसा करना उनकी सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. इससे उनकी आंखें तो खराब होती ही हैं, फिजिकली और मेंटली भी वे फिट, हेल्दी महसूस नहीं करते हैं।
सारा दिन घर में बैठे रहने से थोड़ा सा ही दौड़ने-भागने में बच्चे थक जाते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के बारे में सोचना चाहिए. उन्हें बाहर खेलने जाने के लिए मोटिवेट करना चाहिए. कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप अपने बच्चों का स्क्रीन टाइम कम कर सकते हैं।
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के टिप्स
- बच्चों के सामने कम करें मोबाइल यूज- बच्चे वही करते हैं या सीखते हैं, जो माता-पिता करते हैं. यदि आप खुद सारा दिन मोबाइल लेकर बैठे रहेंगे तो बच्चे की भी ख्वाहिश होगी कि उसे मोबाइल चलाने को मिले. ऐसे में आप मोबाइल का इस्तेमाल तब अधिक करें, जब बच्चा घर पर ना हो. बच्चे जब पढ़ाई कर रहे हों तो उनके पास बैठकर आप मोबाइल, टैब या लैपटॉप पर गेम ना खेलें या कोई वीडियो ना देखें।
- गिफ्ट्स में ना दें बच्चों को गैजेट्स- कुछ पैरेंट्स ऐसे होते हैं कि वे बच्चों कभी भी कोई भी गैजेट खरीद कर दे देते हैं. ऐसा ना करें. खासकर, बच्चा टीनएज में भी नहीं पहुंचा है तो उसे तो बिल्कुल भी टैब, फोन ना दें. कई बच्चे अपने दोस्तों को देखकर पैरेंट्स से मोबाइल या टैब की डिमांड कर बैठते हैं, लेकिन आपको सही उम्र और सही समय आने पर ही ये गैजेट्स बच्चों को दें. इससे बच्चे पढ़ाई पर कम फोकस करके दिन भर वीडियो, ऑनलाइन गेम्स खेलने की आदत डेवलप कर लेंगे।
- आउटडोर एक्टिविटीज के लिए करें प्रोत्साहित- बच्चों को उन चीजों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, जिनमें नॉन-स्क्रीन रिलेटेड एक्टिविटीज शामिल हों. बच्चों को बाहर पार्क में खेलने के लिए बोलें. उन्हें कहानी की किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें. 5 से 17 साल के बच्चों को आउटडोर एक्सरसाइज करने के लिए साथ ले जाएं, इससे वे फिजिकली और मेंटली फिट बने रहेंगे।
- समय करें तय- बच्चे कितनी देर मोबाइल पर समय बिताएंगे ये आपको ही तय करना होगा. ऐसा बिल्कुल ना हो कि स्कूल से आने के बाद बच्चा 4 घंटे मोबाइल में ही लगा हुआ है. इससे पढ़ाई पर तो नेगेटिव असर पड़ेगा ही, इससे उसकी आंखों की रोशनी भी कमजोर हो सकती हैं. प्रतिदिन आप अपने 10 साल से कम उम्र के बच्चे को 1 से 2 घंटे से अधिक गैजेट्स का इस्तेमाल ना करने दें. टीन एज बच्चों के साथ भी स्क्रीन टाइम फिक्स करें।
- पैरेंटल कंट्रोल है जरूरी- मोबाइल के इस्तेमाल पर पैरेंटल कंट्रोल का इस्तेमाल जरूरी है. कई बार मोबाइल या लैपटॉप पर ऐसी चीजें खुल जाती हैं, जो बच्चों के देखने लायक नहीं होती हैं. ऐसे में पासवर्ड उन्हें ना बताएं और जब भी वे मोबाइल मांगें तो खुद से ओपेन करके उन्हें दें।