कभी-कभी ऐसा लगता है कि कान में कोई सीटी बजा रहा है. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आपको तुरंत सावधान होने की जरूरत है क्योंकि ये खतरनाक बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. इस तरह की आवाज आना टिनिटस बीमारी का लक्षण है. अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए तो बहरे तक हो सकते हैं. इससे मानसिक परेशानी भी हो सकती है. दरअसल, ऐसा कान के नर्व में गड़बड़ी की वजह से होता है, जिसे दवा या सर्जरी से कम किया जा सकता है. हालांकि, ज्यादा डैमेज होने पर सोने-जागने, काम करते समय परेशान कर सकता है.
टिनिटस बीमारी होने की वजह
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कई बार कान में छोटे से ब्लॉकेज के कारण भी टिनिटस हो सकता है. इसके अलावा तेज आवाज से हियरिंग लॉस, कान में इंफेक्शन, साइनस इंफेक्शन, हार्ट डिजीज, सर्कुलेटरी सिस्टम में इंफेक्शन, ब्रेन ट्यूमर, हार्मोनल बदलाव, थायराइड बढ़ने से भी कान में सीटी-सी आवाज आ सकती है.
टिनिटस कब खतरनाक होता है
अगर आप इस बीमारी को बार-बार नजरअंदाज करते हैं तो फेशियल पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ सकता है. हमेशा-हमेशा के लिए बहरे भी हो सकते हैं. कई बार तो इस आवाज से परेशान होकर इंसान अपनी जान तक देने की कोशिश कर सकता है. ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टर से मिलकर थेरेपी की मदद से इसका तुरंत इलाज करवाएं.
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कान में आवाज आने का इलाज
साउंड बेस्ड थेरेपी
टिनिटस के लक्षण को कम करने के लिए साउंड बेस्ड थेरेपी कारगर हो सकती है. इसमें यंत्रों की मदद से बाहर की आवाज को बढ़ाया जाता है और दिमाग तक इस आवाज को पहुंचने से छुटकारा दिलाया जाता है. हियरिंग एड, साउंड मास्किंग डिवाइस, कस्टमाइज्ड साउंड मशीन या कान में लगाए जाने वाले यंत्र इसी के उदाहरण हैं.
बिहेवियरल थेरेपी
टिनिटस बहुत ज्यादा इमोशनल स्ट्रेस, डिप्रेशन, इंसोमनिया से भी होता है. इसका इलाज करने के लिए तरह-तरह के बिहेवियर थेरेपी की मदद ली जाती है. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, प्रोग्रेसिव टिनिटस मैनेजमेंट की मदद से इस आवाज से छुटकारा दिलाने की कोशिश की जाती है.
दवाईयों की मदद
टिनिटस को मैनेज करने के लिए एंटी एंग्जायटी ड्रग, एंटी डिप्रेशन जैसी दवाईयां दी जाती हैं. लक्षणों के आधार पर डॉक्टर दवा देते हैं.
लाइफस्टाइल में बदलाव
मानसिक रुप से दबाव में होने पर टिनिटस के लक्षण बढ़ सकते हैं. तनाव और एंग्जाइटी दूर करने के लिए एक्सरसाइज, योगा, मेडिटेशन, सहि डाइट और बेहतर सोशल लाइफ पर ध्यान देना चाहिए.