माता-पिता हमेशा अपने बच्चे को बड़े लाड़-प्यार से पालते हैं लेकिन टीनएज की उम्र पर पहुंचने के बाद अक्सर बच्चों की ये शिकायत होने लगती है कि उनके पेरेंट्स उन्हें समझते नहीं है।
बच्चों को जब ऐसा महसूस होने लगता है तो वह अपने माता-पिता से बातें छिपाने लगते हैं और घर में अक्सर बहस भी होती है। कई बार तो बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और अपने पेरेंट्स की बात भी नहीं सुनते।
माता-पिता भले ही बच्चे से बेहद प्यार करते हों लेकिन कई बार उनसे कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिनके बाद बच्चे उन से अच्छा बॉन्ड शेयर नहीं कर पाते। इस लेख में हम आपको टीनएज पेरेंटिंग टिप्स (Tips for Parenting teenagers) देने वाले हैं, जिन्हें फॉलो करने से आप बच्चों को समझ सकेंगे और अच्छा बॉन्ड बनेगा।
टीनएजर बच्चों के लिए पेरेंटिंग टिप्स
दोस्त बनें
टीनएज उम्र का वो पड़ाव होता है, जहां बच्चे में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव (Physical and mental changes) होते हैं। ऐसे में बच्चे को समझना बेहद जरूरी होता है। आप अपने बच्चे के साथ हर विषय पर खुलकर बात करें ताकि वह अपने किसी भी सवाल का जवाब आप से जान सके।
पेरेंट्स अपने टीनएज बच्चों के साथ खूब वक्त बिताएं, जिससे आप दोनों के बीच अच्छी बॉन्डिंग बने। जब आप उससे हर विषय पर बात करेंगे और उसे अच्छा फील करवाएंगे तो वह आपके साथ एक दोस्त की तरह सब कुछ शेयर करेगा।
प्यार जताएं
सभी माता-पिता अपने बच्चों को बेइंतहा प्यार करते हैं लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं पेरेंट्स बच्चे से प्यार जताना कम कर देते हैं। ऐसे में अगर आपका बच्चा टीनएज में है तो उसके साथ समय बिताएं और समय-समय पर प्यार भी जताएं। जब आप बच्चे से अपना प्याज जाहिर करेंगे तो वह भी आपके साथ खुलेगा। प्यार जताने से आपका बच्चे के साथ बॉन्ड बेहतर होगा।
जिम्मेदार बनाएं
टीनएज उम्र का एक ऐसा पड़ाव होता है, जिसमें बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर भी बढ़ने लगता है। ऐसे में आप बच्चे से पूछते रहें कि कहीं उसे पढ़ाई में कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है और अगर बच्चे को कोई दिक्कत हो तो आप उसका हल निकालें। इसके साथ ही बच्चे को जिम्मेदार बनाएं, उसे एहसास दिलाएं कि वह बड़ा हो चुका है और अपने जीवन से जुड़े कुछ फैसले ले सकता है।
हौसला बढ़ाएं
टीनएज एक ऐसी उम्र होती है जब बच्चे अपनी पढ़ाई और आगे के करियर को लेकर भी कई तरह के फैसले लेते हैं। ऐसे में आप बच्चे की मदद करें और उसका साथ दें। टीनएज बच्चे को आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते रहें। ध्यान रखें कि आप कभी भी अपने बच्चे की तुलना किसी और बच्चे से न करें। ऐसा करने से बच्चे में निराशा का भाव आता है।