भारत में कई बीमारियों के आंकड़ें तेजी से बढ़ रहे हैं। हमारा देश दुनिया का ओबेसिटी कैपिटल बन चुका है। वहीं ओबेसिटी यानी मोटापे से जुड़ी अन्य महामारियां हमारा इंतजार कर रही हैं। बढ़ते ब्लड शुगर की स्थिति को देखते हुए हमें बहुत पहले डायबिटीज कैपिटल का नाम दे दिया गया है। अब हम दुनिया भर में फैटी लिवर के लीडर बनने जा रहे हैं। यदि समय रहते फैटी लीवर के बढ़ते आंकड़ों पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकता है।
फैटी लीवर के बढ़ते आंकड़ों को लेकर डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी, पुणे के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट, डॉ. अमोल दहले ने फैटी लीवर को भारत का अगला एपिडेमिक बताया है। तो चलिए जानते हैं, इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
क्या भारत में फैटी लिवर अगली महामारी बन सकता है?
हाल ही में एम्स द्वारा किए गए अध्ययन, जिसमें भारत में नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज पर प्रकाशित रिपोर्टों की स्टडी की गई, कहा गया है कि एक तिहाई (38 प्रतिशत) से अधिक भारतीयों को फैटी लीवर या नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज है।
2022 में जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह समस्या केवल वयस्कों तक ही सीमित नहीं है बल्कि लगभग 35 प्रतिशत बच्चे भी इससे प्रभावित हैं।
क्या है इसका कारण
डॉ. अमोल दहले के अनुसार “फैटी लिवर में लिवर की मात्रा के 10% से ज़्यादा फैट जमा हो जाती है। फैटी लिवर एक पूरी बीमारी की शुरुआत है, जिसमें स्टीटोहेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस और आखिरकार कुछ रोगियों में लिवर कैंसर का खतरा शामिल है। यह समस्या बेहद कॉमन हो चुकी है।
वर्तमान में फैटी लिवर का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधि, क्षेत्र के आधार पर 10-30% तक अलग-अलग है। लेकिन जल्द ही यह बढ़ने वाला है, शराब और वायरल हेपेटाइटिस को पीछे छोड़ते हुए लिवर सिरोसिस का सबसे आम कारण बन जाएगा। मोटापे के साथ-साथ खराब जीवनशैली की आदतें और अत्यधिक फैट, कैलोरी का सेवन फैटी लिवर की घटनाओं में तेज़ी से बढ़ोतरी कर रहा है।
एक निश्चित सीमा से ज़्यादा फैट लिवर में सूजन का कारण बन जाता है और फाइब्रोसिस में बदल जाता है। इससे लीवर की कार्यप्रणाली बाधित होती है और आगे चलकर पेट में दर्द, कभी-कभी थकान, पीलिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। समय रहते इसका पता लगाना और उपचार करना ज़रूरी है। आहार में बदलाव, जीवनशैली में बदलाव और व्यायाम उपचार इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन कारणों से बढ़ रहा फैटी लिवर
अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें, अधिक मात्रा में प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन, तनाव का बढ़ता स्तर, व्यायाम की कमी और अपर्याप्त नींद। इसके अलावा, वायु और ध्वनि प्रदूषण जीवनशैली संबंधी विकारों के अन्य महत्वपूर्ण कारक हैं।
साथ ही हमारे जीन जीवनशैली संबंधी बीमारियों को ट्रिगर करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, हममें से कुछ लोगों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और फैटी लीवर की बीमारी विकसित होने का खतरा दूसरों की तुलना में अधिक होता है, इसका कारण है हमारे जेनेटिक्स। भारतीय पुरुष आबादी को अन्य जनसंख्या समूहों की तुलना में इन जीवनशैली संबंधी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील माना जाता है।
शराब का सेवन, तेजी से वजन कम होना और कुपोषण भी फैटी लीवर का कारण बन सकते हैं। हालांकि, कुछ लोगों में फैटी लीवर विकसित हो जाता है, भले ही उनमें इनमें से कोई भी स्थिति न हो।
फैटी लिवर से बचना है तो क्या करें
नियमित एक्सरसाइज है जरूरी
नियमित शारीरिक गतिविधि करने से आपको स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद मिलती है। यह इंसुलिन संवेदनशीलता में भी सुधार करता है, पाचन में सहायता करता है और हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है। व्यायाम के लिए आपको इंटेंस गतिविधियों में पार्टिसिपेट नहीं करना, नियमित रूप से तेज चलने से भी आपको फायदा मिल सकता है। प्रतिदिन 10,000 कदम चलने की कोशिश करें।
खानपान की आदतें सुधारें
शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने के लिए आप जितनी कैलोरी लेती हैं, उससे ज़्यादा कैलोरी जलाने की ज़रूरत होती है। सहज रूप से खाने या दिन में छोटे हिस्से में खाना खाने से आप ओवर ईटिंग करने से बच सकती हैं। इससे वेट मैनेज रहता है और लिवर को एक्स्ट्रा फैट का भार नहीं उठाना पड़ता।
डाइट में फाइबर शामिल करें
फ़ाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे- फल, बीन्स, क्रूसिफेरस और सब्जियां, साबुत अनाज खाने से आप लंबे समय तक संतुष्ट रहती हैं। वे आपके आंत के माइक्रोबायोम और पाचन का भी समर्थन करते हैं। एक स्वस्थ पाचन क्रिया फैटी लिवर के खतरे को कम कर देती है।
सैचुरेटेड फैट को अनसैचुरेटेड फैट से बदलें
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का सेवन सूजन को कम करता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। स्वस्थ फैट के अच्छे स्रोत मछली, अलसी, चिया बीज, अखरोट, एवोकाडो और हरी पत्तेदार सब्जियां हैं। इन खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करें और फैटी लिवर से खुद को सुरक्षित रखें।
फ्रुक्टोज से भरपूर प्रोसेस्ड फूड्स और ड्रिंक्स से परहेज करें
सॉफ्ट ड्रिंक, जूस और अन्य प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। इसके अलावा इन खाद्य पदार्थों में अक्सर कैलोरी अधिक होती है। तरल कैलोरी को कम करना और अधिक संपूर्ण खाद्य पदार्थ और पेट के अनुकूल स्नैक्स चुनना आपको वजन कम करने में मदद कर सकता है।
धूम्रपान और शराब से परहेज करें
अगर आप शराब और सिगरेट लेती हैं तो ऐसे में फैटी लिवर का खतरा बढ़ जाता है। अपने शराब के सेवन को 1-2 ड्रिंक तक सीमित रखें। अधिक शराब का सेवन अल्कोहलिक फैटी लिवर का कारन बन सकता है।