केरल के बाद अब राजस्थान में मम्प्स ने आतंक मचाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वायरस से संक्रमित होने के बाद 6 लोग अब तक बहरेपन का शिकार हो चुके हैं। इसमें दो बच्चे भी शामिल हैं। पहले जहां साल भर में Mumps के 5 से 7 केस देखे जाते थे। वहीं अब हर महीने 50 से ज्यादा मामले आने लगे हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में बच्चों और बड़ों में होने वाले मम्प्स की रोकथाम के लिए गाइडलाइन जारी की गई है।
जानें मम्प्स क्या है?
Mumps एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य तौर पर सलाइवरी ग्लैंड को प्रभावित करती है। इस वायरस के कारण चेहरे के दोनों तरफ की ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। इसे गलसुआ भी कहा जाता है, यह बीमारी आमतौर पर बच्चों में होती है, लेकिन अब बड़े भी इसका शिकार हो रहे हैं। यह संक्रमण छींक, नाक और गले से निकलने वाले संक्रामक ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से फैलता है।
मम्प्स के लक्षण
मम्प्स के लक्षण संक्रमित होने के बाद आमतौर पर 1-2 सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं। इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। Mumps के कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं –
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- गालों या जबड़े में सूजन
- चेहरे, जबड़े और कानों के पास दर्द
- गर्दन में सूजन
- सिर दर्द
- थकान व कमजोरी
- मांसपेशियों में दर्द
- हल्का बुखार
- भूख कम लगना
- कमजोरी
- मुंह सूखना
- जोड़ों में दर्द
मम्प्स से बचाव कैसे करें?
- मम्प्स रोग से बचाव के लिए बच्चों को MMR वैक्सीन जरूर लगवाएं।
- अगर घर में किसी को मम्प्स की समस्या है, तो उसे कम से कम 7 दिनों तक आइसोलेट करके रखें।
- जल्दी ठीक होने के लिए पर्याप्त आराम करना जरूरी होता है।
- ज्यादा से ज्यादा नरम चीजें खाएं और लिक्विड की मात्रा अधिक लें।
- खाने में चबाने वाली चीजों को अवॉइडसे परहेज करें।
- सूजन को कम करने के लिए आइस पैक का इस्तेमाल करें।
- मम्प्स के लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और उचित इलाज करवाएं।