आपने कई बार घर के वरिष्ठ या खुद में ऐसा महसूस किया होगा कि आपकी कमर में दर्द है और धीरे-धीरे ये दर्द बढ़कर पैरों तक पहुंच जाता है। ऐसे में आपको लगता है कि आप लगातार घंटों तक एक की पॉश्चर में बैठकर काम करते हैं तो शायद इसी वजह से हो गया हो। मगर, इसके पीछे की वजह है आपकी रीढ़ की हड्डी। दरअसल, हमारी प्रतिदिन की कुछ आदतों और गलतियों से रीढ़ की हड्डी घिसने लगती है, जिसको मेडिकल भाषा में डिस्क डिजनरेशन (Disk Degeneration) कहते हैं।ये परेशानी बहुत आम हो गई है। आज के इस लेख में हम इसके पीछे के कार, समस्या और इससे बचाव व इलाज के बारे में जानेंगे।
पुणे के मणिपाल अस्पताल में स्पाइन सर्जरी कंसल्टेंट डॉक्टर राहुल चौधरी ने बताया कि रीढ़ की हड्डी हमारे सिर को पीठ के निचले हिस्से से जोड़ती है। इसमें बहुत सारी छोटी हड्डियां होती हैं और हर दो हड्डी के बीच में एक डिस्क होती है। ये डिस्क, रीढ़ की हड्डी को किसी झटके से बचाती है। इस डिस्क के अंदर जेली जैसा द्रव्य भरा रहता है। वहीं, उसकी बाहरी परत कठोर होती है।

उन्होंने बताया कि कई बार जब डिस्क के अंदर भरी जेली सूख जाती है। उसमें मौजूद पानी कम हो जाता है तो डिस्क बैठ जाती है। इसे ही डिस्क डिजनरेशन (Disk Degeneration) कहते हैं। बहुत बार MRI कराने पर ये डिस्क एकदम काली दिखती है, इसे स्पॉन्डिलाइटिस (Spondylitis) भी कहते हैं।
डिस्क डिजनरेशन के पीछे के कारण
बहुत देर तक एक ही पोजीशन में बैठना
आगे झुककर काम करना
भारी सामान उठाना
मोटापा
समय पर खाना न खाना
विटामिन B12 और विटामिन D3 की कमी होना
सिगरेट-शराब पीना
अच्छी नींद न लेना
किन आदतों से घिसती है रीढ़ की हड्डी?
डॉक्टर चौधरी ने बताया, आजकल अधिकतर लोग बैठकर काम करते हैं। अब अगर आप गलत पोजीशन में घंटों बैठे रहें तो इससे मनके पर दबाव पड़ता है। मनका यानी गर्दन के पीछे की हड्डी, जो रीढ़ के बिलकुल ऊपर होती है।वहीं, अगर आप पर्याप्त पानी नहीं पी रहे हैं तो भी मांसपेशियों में अकड़न आ जाती है।
अगर कोई काम करते हुए बार-बार झुकना पड़ता है तो इसे कम करें। भारी चीज़ उठा रहे हैं तो किसी की मदद लें। घर का खाना पौष्टिक होता है, वही खाएं। बाहर के प्रोसेस्ड फूड में तेल-नमक ज्यादा होता है। इससे शरीर में विटामिन लेवल कम होने लगते हैं और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा, मोटापे से भी रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है, इसलिए रोज एक्सरसाइज करें।

रीढ़ की हड्डी घिसने से होने वाली समस्याएं
डॉक्टर ने बताया, डिस्क डिजनरेशन होने पर डिस्क के अंदर का जेल सूख जाता है। फिर पानी की कमी से डिस्क बैठने लगती है। अब अगर इस डिस्क पर प्रेशर आ जाए तो वो फट जाता है। इससे अंदर का जेल बाहर निकल आता है, जिसकी वजह से नस पर दबाव पड़ता है। ऐसे मरीजों को कमर में बहुत दर्द होता है। ये दर्द बढ़कर पैरों तक पहुंच जाता है, जिसे साइटिका (Sciatica) भी कहते हैं। डिस्क फटने और नस पर प्रेशर पड़ने की वजह से पैरों में झनझनाहट होने लगती है, भारीपन आता है और पैरों में कमजोरी भी लगती है।
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बचाव और इलाज
डॉक्टर राहुल चौधरी बताते हैं, बहुत अधिक बैठते हैं तो हर 30-40 मिनट में उठें। एक या दो मिनट का ब्रेक लें और थोड़ा घूम-फिरकर आएं। शरीर को स्ट्रेच करें और वापस बैठ जाएं। बीच-बीच में पानी, सूप और जूस जैसी तरल चीजें पीते रहें। कोई भारी सामान उठा रहे हैं तो व्यक्ति या मशीन की मदद लें। अपने खाने का समय तय करें और बाहर की चीजें न खाएं। रोज 6 से 7 घंटे की अच्छी नींद लें। मोटापा कम करें।
इलाज के बारे में उन्होंने बताया, डिस्क डिजनरेशन होने पर कमर में बहुत दर्द होता है। इस दर्द को कम करने के लिए पेनकिलर्स और मसल रिलैक्सेंट जैसी दवाएं दी जाती हैं। मरीज को 5 से 7 दिनों के लिए कंप्लीट बेड रेस्ट करने को कहा जाता है। कई बार फिजियोथेरेपी भी दी जाती है। इससे मांसपेशियों में अकड़न कम हो जाती है। 90 फीसदी से ज्यादा मरीज इससे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
अगर कुछ मरीजों का दर्द दूर नहीं होता तो X-Ray या MRI किया जाता है। इससे पता चल जाता है कि डिस्क पूरी तरह फट गई है या नस पर प्रेशर आ गया है। फिर नस की जगह पर इंजेक्शन दिया जाता है। अगर इससे भी आराम नहीं मिलता तो डिस्क के उस टुकड़े को निकाल दिया जाता है। इससे नस पर पड़ा दबाव हट जाता है और डिजनरेटेड डिस्क की दिक्कत दूर की जाती है।