कहते है बच्चे गीली मिट्टी जैसे होते हैं, जिसे जैसा रूप दिया जाए वो वैसे ही बनेंगे. इंटरनेट पर हमें ऐसे कई पेरेंटिंग टिप्स मिल जाएंगे जो बच्चों की परवरिश में हमारी सहायता कर सकते हैं।
हालांकि हर माता-पिता का अपने बच्चों के पालन पोषण करने का तरीका अलग होता है. लेकिन यदि सद्गुरु के बताए गए इन पेरेंटिंग स्टाइल को अपनाया जाए तो इस रिश्ते को और मजबूत बनाया जा सकता है।
सद्गुरु का मानना है कि बढ़ती उम्र के साथ परवरिश के तरीकों में बदलाव किया जाए तो बच्चे और माता-पिता के बीच उम्र के फासले को कम किया जा सकता है. हर बच्चा अलग होता है इसलिए पेरेंट्स को समझना चाहिए कि उनके बच्चों का लालन पालन किस तरह किया जाना चाहिए।
उनके सपनों को दे उड़ान
ऐसा देखा जाता है कि कई बार पेरेंट्स अपने सपनों को पूरा करने का बोझ बच्चों के कंधे पर डाल देते हैं. वो चाहते हैं की उनके सपनों को उनके बच्चे पूरा करें. यहां पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत है कि सबके सपने सबकी जरूरतें अलग होती है. इसलिए माता-पिता को बच्चों को वो करने देना चाहिए जो वो करना चाहते हैं।
शीघ्रता ना करें
आजकल पेरेंट्स छोटी सी उम्र में ही बच्चों को बड़े से बड़ा ज्ञान देना चाहते हैं, उन्हें समझदार बनाना चाहते हैं. लेकिन हर सीख की एक सही उम्र होती है. पेरेंट्स यह भूल जाते हैं की बचपन एक बार ही आता है इसलिए बच्चों को बच्चा ही रहने दें और धैर्य के साथ काम लें. साथ ही बच्चा जो देखता है वही सीखता है और उसके सीखने की शुरुआत उसके घर से होती है इसलिए घर के माहौल को खुशनुमा रखने केई कोशिश करें।
अपने बच्चों के दोस्त बनें
माता-पिता का फ़र्ज केवल बच्चों की परवरिश करना उन्हें बड़ा करना नहीं होता. उन्हें अपने बच्चों का एक अच्छा दोस्त भी बनना चाहिए, ताकि उन्हें कभी किसी तीसरे की जरूरत ना पड़े और बच्चे अपने दिल की बात खुलकर उन्हें कह सकें।
इस बात का ख्याल रखें कि वह आपसे डरे ना. यदि आप उन्हें समझेंगे तो वो भी आपको समझेंगे, आपका सम्मान करेंगे. बच्चे केवल अपने माता-पिता के प्यार और सपोर्ट के भूखे होते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि वह आपसे अच्छी कि चीजें सीखें क्योंकि आपसे बेहतर टीचर आपके बच्चों के लिए और कोई नहीं हो सकता.