जब भी मौसम बदलते हैं तो इंफेक्शन का खतरा काफी ज्यादा बढ़ने लगता है. इस दौरान सर्दी, जुकाम, गले में दर्द और सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है. इंफेक्शन के कारण लोगों को अक्सर बुखार होने लगता है. इसी इंफेक्शन के कारण मांसपेशियों में गंभीर दर्द और बुखार होने लगता है.
पीला बुखार एक जानलेवा बीमारी है जो संक्रामक मच्छरों के काटने से होती है. जलवायु और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को अक्सर यह बीमारी होती है. हालांति इसे वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है. इसके प्रकोप से बचने के लिए एक वैक्सीन मौजूद है.
बुखार के कई टाइप्स होते हैं. उसी में से एक बुखार है येलो बुखार. येलो बुखार एक खास तरह के मच्छर के काटने से होता है. यह वायरस एडीज और हेमोगोगस मच्छर के काटने से होता है. इसके शुरुआती लक्षण 3-6 दिनों के अंदर दिखाई देते हैं.
येलो बुखार क्या है?
येलो बुखार काफी ज्यादा खतरनाक है. यह ग्लोबल स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरनाक है. इसमें तीन तरह के फेज होते हैं. सिल्वेटिक (जंगली), मध्यवर्ती और शहरी. पहला चक्र में जब बंदरों और जानवरों को मच्छर काट लेते हैं और उससे वायरस मनुष्यों में फैलता है. दूसरे चक्र में घरेलू मच्छर जो घरों के भीतर या जंगली इलाकों में घरेलू स्तर पर पैदा होते हैं. फिर लोगों को या जानवरों को काटते हैं. तीसरा शहरी चक्र इसमें जनसंख्या और मच्छर दोनों की संख्या काफी ज्यादा है और उसका प्रकोप बढ़ा रहता है. यह तीनों अलग-अलग चक्र होते हैं.
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येलो फीवर के कारण?
येली फीवर की बीमारी अमेरिका और अफ्रीका के क्षेत्रों में ज्यादा फैलती है. इसके शुरुआती लक्षण पीठ और मांसपेशियों में तेज दर्द होते हैं. साथ ही इसमें सिरदर्द की समस्या भी होती है. येलो फीवर, एडीज और हेमोगोमस के मच्छर के काटने से फैलता है.
येलो फीवर के लक्षण क्या होते हैं?
येलो फीवर के शुरुआती लक्षण सप्ताह भर में दिखाई देने लगते हैं. इससे व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.
- मांसपेशियों और पीठ में दर्द
- बीमार महसूस होना या उल्टी आना
- थकान महसूस होना
- शरीर में दर्द होना
- जी मिचलाना
- त्वचा व आंखों का पीला होना
- तेज सिरदर्द
येलो फीवर का इलाज कैसे किया जा सकता है?
- येलो फीवर का इलाज फिलहाल अभी संभव नहीं है. लेकिन यह फीवर होने के बाद डॉक्टर ढेर सारा पानी पीने की सलाह देते हैं.
- इस फीवर में मरीज को वैक्सीन दी जाती है.
- इसके इलाज में डॉक्टर मरीज नॉन स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं दी जाती है.
- यह फीवर होने के बाद मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है.
- मरीज को कुछ समय के लिए एडमिट करवाया जाता है.