ज्यादातर
6 महीने तक बच्चों को मां का दूध पिलाने के बाद गाय का दूध देने की तैयारी शुरू हो जाती है। मां के दूध के अलावा बच्चों को गाय या भैंस का दूध पिलाया जाता हैं। वहीं सॉलिड डाइट में अक्सर लोग शिशु के मुंह में कभी रोटी का टुकड़ा, कभी चावल तो कभी सब्जी को मैश करके डालने में हिचकते नहीं है। उनके अनुसार बच्चों की भूख को शांत करने के लिए मां के दूध के अलावा सॉलिड फूड बेहद आवश्यक है।
बाहर से हृष्ट-पुष्ट दिखने वाले बच्चों का न केवल इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, बल्कि मसल्स और इंटेस्टाइंस बिल्ड होने लगती हैं। ऐसे में उन्हें कुछ भी खिला देने या गाय का दूध पिला देने से एलर्जी का खतरा बना रहता है, जिससे बच्चे का स्वास्थ्य खराब होने लगता है। आइये जानते हैं कि बच्चों में बढ़ने वाली मिल्क प्रोटीन एलर्जी का कारण क्या है और इसका क्या उपचार किया जा सकता है।
गाय के दूध के कारण बच्चों को हो सकती है ये 3 तरह की एलर्जी
- इसमें से पहला कारण है स्किन एलर्जी, जिसमें बच्चे को रैशेज या इचिंग का सामना करना पड़ता है।
- उसके बाद रेसपिरेटरी एलर्जी, जिसमें बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
- और अंत में जीआई यानि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं शरीर में पनपने लगती है। इसके चलते बच्चों को वॉमिटिंग, दस्त, उल्टी और कब्ज जैसी पेट की समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है।
इसके चलते बच्चों के शरीर में कमज़ोरी और वेटलॉस का सामना करना पड़ता है। बच्चों के खानपान को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। कही सुनी बातों की जगह डॉक्टर के सुझाए आहार को ही प्रमुखता से फॉलो करना चाहिए।
बच्चों को दूध हजम नहीं होने का क्या कारण
इस बारे में पीडियाट्रिक डॉ अभिषेक नायर बताते हैं कि बच्चों का इंटेस्टाइन इममेच्योर होता है। इसके चलते मां के दूध के अलावा अगर आप बच्चों को गाय का दूध देते हैं, तो उन्हें लैक्टोज़ इंटॉलरेंस का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा व्हीट फ्लोर यानि आटे के सेवन से बच्चों में ग्लूटन एलर्जी का जोखिम बएनने लगता है। ऐसे में 1 साल से कम उम्र के बच्चों के खानपान का विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।
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डॉ अभिषेक बताते हैं कि बच्चों की इंटेस्टाइल वॉल में पाए जाने वाले सेल्स के बीच गैप ज्यादा होता है। अगर आप बच्चों को गाय का दूध देते हैं, तो प्रोटीन उन सेल्स के बीच फंसने लगता है। इससे शरीर में एंटीबॉडीज बनने लगती हैं, जो एलर्जी का कारण साबित होती है।
शिशु को गाय के दूध से एलर्जी है, तो इन फूड्स को करें शामिल
बच्चों को किसी भी प्रकार की एलर्जी से बचाने के लिए उन्हें हल्का और मैश किया हुआ भोजन देना फायदेमंद साबित होता है। इससे बच्चों का मेटाबॉलिज्म बना रहता है और पेट दर्द, उल्टी और दस्त से भी मुक्ति मिलती है। शुरूआत में बच्चों को दिन में 2 बार छोटी मील्स सर्व करें। 1 साल के बच्चे को दिन में 4 से 5 बार थोड़ा-थोड़ा करके खिलाएं।
वेजिटेबल प्यूरी
आलू, गाजर और कद्दू को बॉइल करके मैश कर लें और उससे बच्चों के आहार में सम्मिलित करें। इससे बच्चों को पौष्टिक तत्वों की प्राप्ति होती है।
पानी में बनाया हुआ दलिया
दूध का दलिया बच्चे की गट हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में दलिए को पानी में उबालकर उसमें सब्जियों को एड करके तैयार करें और बच्चे को खिलाएं।
हल्की-नर्म खिचड़ी
चावल और हरी मूंग की दाल को लें और उसे एक साथ पकाकर खिचड़ी तैयार कर लें। इससे बच्चों का डाइजेशन मज़बूत बनता है।
सूजी की पानी वाली खीर
वो आहार जो बच्चे को खाने के बाद आसानी से पच जाए। उसके लिए सूजी को रोस्ट करके पानी में पकाएं और उसमें हल्का सा गुड़ मिला लें।
फ्रूट पल्प
सॉफ्ट सेब, केला या नाशपाती को लें और उसे पील करके बाउल में मैश कर लें। अब इसे बच्चे को खिलाएं। इससे बच्चे में पानी की कमी की समस्या को दूर किया जा सकता है। साथ ही बच्चे को फाइबर की प्राप्ति होती है।