राजस्थान हाईकोर्ट ने खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण कैंसर सहित कई जानलेवा बीमारियां होने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने इस मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर केन्द्र व राज्य सरकार से सख्त कानून बनाकर मिलावट को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए।
साथ ही, केन्द्रीय गृह, स्वास्थ्य, कृषि व खाद्य आपूर्ति मंत्रालय, खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण तथा राज्य के मुख्य सचिव, गृह, खाद्य सुरक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। खाद्य पदार्थों के नियमित सैंपल लेकर हर माह के अंत में कोर्ट में जांच रिपोर्ट और मिलावट रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को भी कहा है।
न्यायाधीश अनूप ढंड ने कहा कि आज लोग व्यस्त जीवन जी रहे हैं, ऐसे में हम अपने खाने के बारे में जानने के लिए बहुत कम समय देते हैं। वर्ष 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक बिल तैयार किया गया, लेकिन उसे अब तक कानूनी रूप नहीं दिया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को त्योहार या शादी के सीजन तक सीमित नहीं रखा जाए। मिलावट पर नियंत्रण और मॉनिटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी और जिला स्तर पर कलक्टरों की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया जाए।
2006 का कानून पर्याप्त नहीं
कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 को मिलावट की समस्या रोकने के लिए पर्याप्त नहीं मानते हुए कहा कि यह कानून असंगठित क्षेत्र, हॉकर्स आदि पर लागू न होकर सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट पर लागू होता है। इसके अलावा सैंपल जांचने की लैब भी कम हैं। तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं।
सरकार ने दिए निर्देश
- केन्द्र और राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 को पुख्ता बनाने के लिए कदम उठाए।
- राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकारी मिलावट को लेकर हाई रिस्क एरिया और समय चिह्नित करें।
- प्राधिकारी पर्याप्त संसाधनों के साथ प्रयोगशाला का संचालन करें।
- केन्द्र व राज्य सरकार वेबसाइट पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी, जिम्मेदार अफसरों के नंबर और टोल फ्री नंबर जारी करे।
- शुद्ध के लिए युद्ध अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए।
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20 फीसदी खाद्य पदार्थ असुरक्षित
कोर्ट ने मिलावट को लेकर कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार बाजार में बिक रहे 20 फीसदी खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के हैं। खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार 70% दूध में पानी मिला होता है और दूध में डिटर्जेंट मिला होने के प्रमाण भी सामने आए हैं।
कैंसर का खतरा
खाद्य पदार्थों में मिलावट से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। निम्नलिखित तरीके से मिलावट कैंसर उत्पन्न कर सकती है –
- रासायनिक पदार्थ: खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ जैसे कि आर्टिफिशियल कलर, प्रिजर्वेटिव, और फ्लेवर कैंसर के कारण बन सकते हैं। ये रसायन शरीर में विषैले प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।
- मिश्रित धातुएं: कई बार खाद्य पदार्थों में भारी धातुओं की मिलावट की जाती है जो कि कैंसर के कारक हो सकते हैं।
- संक्रमित पदार्थ: मिलावट के कारण खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया और वायरस भी प्रवेश कर सकते हैं, जो कैंसर सहित कई अन्य बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
रोकथाम के उपाय
मिलावट को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं –
- कानूनी उपाय: सरकार को सख्त कानून बनाने और उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- जागरूकता अभियान: जनता को मिलावट के खतरों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना चाहिए।
- प्रयोगशालाओं की स्थापना: खाद्य पदार्थों की जांच के लिए अधिक से अधिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी चाहिए।
- स्वयं की सतर्कता: हमें स्वयं भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचना चाहिए।
खाने में मिलावट एक गंभीर समस्या है जो कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके रोकथाम के लिए सरकार, समाज और व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करना आवश्यक है। जागरूकता और सतर्कता ही मिलावट के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है। हमें अपने और अपने परिवार की स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए मिलावट से बचने के उपायों को अपनाना चाहिए।