मानसिक रोग को लेकर आज भी समाज में अनेक भ्रांतियां हैं. कुछ लोग इसे दैवीय प्रकोप, भूत-प्रेत, जादू-टोना का असर मानते हैं. अक्सर ऐसी स्थिति से गुजरने वाले तंत्र-मंत्र के चक्कर में पड़ जाते हैं. टोना टोटका से लेकर कई तरह के अनुष्ठान करते हैं, लेकिन हालात ठीक होने के बजाए और बिगड़ जाते हैं. दरअसल, सीजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है, लेकिन लोग अक्सर इसका इलाज कराने के बजाय इसे भूत-प्रेत, आत्मा और जादू टोने का असर समझकर झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं. इलाज नहीं कराते. इससे यह बीमारी और बढ़ जाती है.
सीजोफ्रेनिया एक ऐसा मानसिक रोग है जिसमें रोगी को अपने व्यक्तित्व का कुछ पता नहीं रहता. उसके जीवन में न तो खुशी रहती है और न ही गम. उसे अपने खिलाफ साजिश होने की आशंका का डर लगा रहता है. जिस व्यक्ति में भी ये लक्षण हैं उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
सीजोफ्रेनिया के शुरुआती लक्षण
बेस अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉ मोहित सैनी बताते हैं कि अपने आप में खोये रहना, अपने आपसे बातें करना, चेहरे पर भाव न होना, सारा दिन लेटे रहना, ज्यादा कोशिश करने पर उग्र हो जाना, बिना बात हंसना और कई लोग आपस में बात कर रहे हों तो मरीज को लगता है कि उसका मजाक बना रहे हैं, उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं आदि सीजोफ्रेनिया के लक्षण हैं. इस दौरान मरीजों को तरह-तरह की आवाज सुनाई देना, इसके लक्षण हो सकते हैं. इसके साथ ही शक और वहम का होना भी स्किजोफ्रेनिया के लक्षण है. यह एक तरह की मानसिक बीमारी है.
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बायोलॉजिकल डिसऑर्डर है ये बीमारी
डॉ मोहित सैनी बताते हैं कि लोग अक्सर समझते हैं कि यह बीमारी तनाव के कारण होती है, हालांकि ऐसा नहीं है. यह एक बायोलॉजिकल डिसऑर्डर है. डॉ मोहित के अनुसार पारिवारिक जीन व न्यूरो केमिकल के काम करने के तरीके पर यह बीमारी निर्भर है. 20 से लेकर 40 तक की उम्र में बीमारी का पहला स्टेज हो सकता है. शुरुआत में मरीज उल्टी-सीधी बातें करते हैं. नींद न आना और चिड़चिड़ापन भी इसके लक्षण हो सकते हैं.
समय से इलाज नहीं मिला तो…
डॉ मोहित सैनी बताते हैं कि अगर समय पर इलाज मिल गया, तो इस बीमारी से निकला जा सकता है लेकिन अगर समय से इलाज नहीं मिला, तो बीमारी अल्ट्रा स्टेज में पहुंच जाती है. इस स्टेज में मरीज को भ्रम या काल्पनिक चीजें सच लगने लगती हैं. शुरुआत में दवा और थेरेपी से मरीज सामान्य हो सकता है. डॉ. सैनी हिदायत देते हुए कहते हैं कि ऐसे इधर-उधर भटकने से बेहतर है कि सही समय से डॉक्टर के पास जकर इलाज कराएं ताकि उन्हें समय रहते ठीक किया जा सके.
सीजोफ्रेनिया के दौरान बरतें ये सावधानियां
⦁ मरीज को कभी अकेला और खाली न छोड़ें.
⦁ मरीज से खुल कर बात करें और उसके विचार जानने की कोशिश करें
⦁ मरीज को खाली नहीं बैठने दें ,काम में व्यस्त रखें और नए कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें.
⦁ मरीज में हीन भावना न आने दें . घर में अगर आप बैठे हैं तो कोशिश करें की मरीज से बात करें.
⦁ तनाव दूर करने के लिए योग का सहारा लें