Actress Alia Bhatt Latest Interview: बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर है। पाठकों को बता दें कि यह एक प्रकार का अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर है जो आमतौर पर बच्चों में देखा जाता है। हैरानी वाली बात यह है कि आलिया ने कहा कि वो 45 मिनट से ज्यादा देर तक मेकअप चेयर पर नहीं बैठ सकती हैं। इस डिसऑर्डर की वजह से वो एक ही काम को ज्यादा समय नहीं दे पाती हैं। उन्हें जो भी करना है, जल्दी करना होता है।
आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि ये डिसऑर्डर क्या है। इसके साथ ही इस डिसऑर्डर से ग्रस्त बच्चों में किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, यह भी बताएँगे।
लापरवाही में गलतियां करते हैं बच्चे | Actress Alia Bhatt Latest Interview
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, अटेंशन डेफिसिट विकार एक दीर्घकालिक कंडीशन है जिससे हजारों बच्चे प्रभावित होते हैं। इसमें कई तरह की समस्याएं लगातार बनी रहती हैं जैसे कि ध्यान बनाए रखने में कठिनाई होना, हाइपरएक्टिविटी और आवेगपूर्ण व्यवहार करना। कुछ लक्षणों के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि बच्चे को अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर है या नहीं। ये लक्षण बच्चे को घर और स्कूल में काम करने में परेशानी पैदा कर सकती है और छह महीने से अधिक समय तक यह लक्षण दिख सकते हैं। इसमें बच्चे को किसी चीज की डिटेल पर ध्यान देने में दिक्कत आती है या वो लापरवाही में गलतियां कर बैठता है।

रोजमर्रा के कामों में होती है भूल-चूक | Actress Alia Bhatt Latest Interview
काम पर फोकस रहने में समस्या आती है, ठीक तरह से सुन नहीं पाता है, दिन में सपने देखता है, निर्देशों को समझने में दिक्कत आती है, जिन कामों में दिमाग की जरूरत होती है, उन्हें नजरअंदाज करने की कोशिश करता है, आसानी से ध्यान भटक जाता है और रोजमर्रा के कामों में भी भूल चूक होती रहती है। यदि इन बच्चों का इलाज न किया जाए, तो इसकी वजह से इन्हें कई दीर्घकालिक समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि आत्म-सम्मान में कमी आना, डिप्रेशन, एंग्जायटी, भोजन संबंधी विकार, नींद से जुड़ी समस्याएं, आवेग में रहना, गाड़ी चलाते समय दुर्घटना होने का खतरा रहना और पढ़ाई में पीछे रहना।
बिहेवरियल थेरेपी और दवा से होता है इलाज | Actress Alia Bhatt Latest Interview
इस डिसऑर्डर के इलाज में लक्षणों को ट्रीट करने पर ध्यान दिया जाता है। ज्यादातर बच्चों को बिहेवरियल थेरेपी और दवाओं के साथ ठीक किया जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जेनेटिक्स इस डिसऑर्डर को विकसित करने में अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे जोखिम कारक हैं जिनसे बचा जा सकता है। अगर आप प्रेगनेंट हैं, तो टॉक्सिंगस और शराब, तंबाकू आदि से दूर रहें।
