रीढ़ की हड्डी के विकारों को ठीक करने के लिए रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन में अनेक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। समय के साथ टेक्नोलॉजी काफी आगे बढ़ चुकी है और इससे मरीजों को सीधा आराम मिल रहा है। रीढ़ की हड्डी के लिए जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है उनमें सबसे पहले आता है डिसेक्टोमी, जिसमें रीढ़ की हड्डी के क्षतिग्रस्त डिस्क को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है। दूसरा होता है लैमिनेक्टोमी, जिसमें जगह बनाने के लिए स्पाईनल कैनाल में से वर्टिब्रल हड्डी को हटाया जाता है। तीसरा है स्पाईनल फ्यूज़न, जिसमें वर्टीब्रे को आपस में जोड़कर रीढ़ की हड्डी को ठीक किया जाता है।
डिस्क रिप्लेसमेंट सर्जरी में आर्टिफिशियल डिस्क इंप्लांट का उपयोग कर गतिशीलता को सुरक्षित किया जाता है। फोरेमिनोटोमी में दबाव को कम करने के लिए रीढ़ की हड्डी में नसों के छेद को बड़ा किया जाता है। वर्टिब्रोप्लास्टी या काईफोप्लास्टी में हड्डी के सीमेंट का उपयोग कर वर्टिब्रल फ्रैक्चर को ठीक किया जाता है। स्पाईनल कॉर्ड स्टिमुलेटर इंप्लांटेशन द्वारा क्रोनिक दर्द से आराम सुनिश्चित होता है और मिनिमली इन्वेज़िव स्पाईन सर्जरी (एमआईएसएस) कुछ प्रक्रियाओं के लिए कम इन्वेज़िव विकल्प प्रदान करती है।
अगर कोई मरीज रीढ़ की हड्डी की किसी रेयर समस्या का शिकार है तो डॉक्टर सर्जरी का चयन करने से पहले मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति पर जरूर ध्यान देते हैं। इनमें से प्रयुक्त होने वाली हर तकनीक का उद्देश्य दर्द को कम करना, रीढ़ की हड्डी को स्थिर करना और उसका काम दोबारा रिस्टोर करना है। मरीजों को अपने डॉक्टर से सर्जरी के लाभ, जोखिमों और उससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ को खुलकर समझ लेना चाहिए। ताकि रिकवरी के दौरान किसी समस्या का सामना न करना पड़े।
स्पाइनल सर्जरी के बाद मरीजों के लिए टिप्स
नियमित रूप से दवाएं लें
रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराने के बाद स्वास्थ्य लाभ जल्दी पाने के लिए घाव की उचित देखभाल बहुत जरूरी होती है। जहां पर चीरा लगाया जाता है, उसकी देखभाल के लिए डॉक्टर के दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करें। अगर आपको घाव वाली जगह से कोई भी स्राव निकलता हुआ महसूस हो, सूजन लगे या फिर घाव के आसपास लाल हो रहा हो, तो यह वहां पर संक्रमण का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में जल्द ही डॉक्टर से संपर्क करें।
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फिज़ियोथेरेपी
डॉक्टर द्वारा बताए गए रैगुलेटेड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। डॉक्टर शुरुआत में हल्के वर्कआउट करने की सलाह देते हैं, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाना होता है। भारी सामान उठाने, शरीर को ट्विस्ट करने या झुकने से परहेज करना चाहिए। ऐसे व्यायाम करें जिनसे रीढ़ की हड्डी को ठीक होने में मदद मिले। इनमें शरीर की मुद्रा को सही बनाए रखना, हल्की स्ट्रेचिंग और पीठ को सीधा रखने की गतिविधियां शामिल हो सकती हैं। इसमें आप घर पर प्रोफेशनल नर्सिंग केयर की मदद ले सकते हैं ताकि आपको अपने दैनिक कामों को करने में, समय पर दवा लेने, नियमित फिजियोथेरेपी करने और घाव की देखभाल करने में काफी मदद मिलती है।
स्वस्थ आहार लें
रीढ़ की हड्डी की चोट से जल्दी ठीक होने के लिए संतुलित डाइट लेना बहुत आवश्यक है। संतुलित आहार से पाचन ठीक रहता है और वजन को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे घाव भी जल्दी ठीक होता है। जल्दी रिकवरी के लिए प्रोसेस्ड फूड को अवॉइड करें। प्रतिदिन 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। कोशिश करें कि आपको खांसी एवं कब्ज न हो क्योंकि इनसे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है।
सिकाई करें
दर्द कम करने के लिए दवा के साथ सिकाई करें क्योंकि सर्जरी के बाद काफी दिनों तक दर्द रहता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा दी गई पेनकिलर्स समय पर लें और प्रभावित हिस्से में 10 से 15 मिनट तक बर्फ से सिंकाई करके भी दर्द से आराम पाया जा सकता है। बर्फ से सिंकाई करते समय अपनी स्किन और बर्फ के पैक के बीच पतली टॉवेल या कपड़ा रख लें। शुरू के 1 महीने बैठने या चलने के लिए हमेशा लंबर कॉर्सेट का उपयोग करें। यदि मरीज को रिकवरी के दौरान बुखार आ रहा है, रात में कंपकंपाहट हो रही हो या कोई नया दर्द व कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि घाव खुल जाए तो संक्रमण से बचने के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर जब भी स्टेपल या टांके हटाने के लिए कहें, उसके परामर्श का पालन करें।